भारत और चीन के बीच सीमा पर पिछले एक साल से अधिक समय से तनाव है। इधर चीन, तेजी से एलएसी के क्षेत्रों में अपनी ताकत को बढ़ाने में लगा है। ट्विटर पर एक यूजर ने भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी को टैग कर एक मीडिया रिपोर्ट को पोस्ट किया, जिसमें कहा गया है कि चीन पाकिस्तान को मिसाइल रक्षा प्रणाली और सैन्य बुनियादी ढांचा स्थापित करने में भी मदद कर रहा है। जवाब देते है स्वामी ने लिखा कि हम क्या कर रहे हैं?

गौरतलब है कि चीन के मुद्दे पर स्वामी लगातार केंद्र सरकार को निशाने पर लेते रहे हैं। कई बार उन्होंने ट्वीट कर भारत सरकार को चीन की तरफ से एलएसी पर बढ़ते हस्तक्षेप को लेकर आगाह किया है। इधर ‘द हिंदू’ की खबर के अनुसार वरिष्ठ रक्षा अधिकारियों ने कहा है कि पूर्वी लद्दाख के देपसांग मैदानों में, चीनी सैनिक कुछ समय से भारतीय गश्त को रोक रहे हैं और जानबूझकर आमना-सामना कर रहे हैं, इसलिए भारतीय सेना ने भी ऐसा करना शुरू कर दिया है। अधिकारियों ने कहा कि 2013 के बाद से, हमारी क्षमता बढ़ी है, सैनिकों की संख्या भी बढ़ी है, इसलिए हमारी गश्त अधिक हो गयी है। जैसे-जैसे हमारी उपस्थिति और क्षमता बढ़ेगी, झड़प होंगे ही।

बताते चलें कि स्वामी ने इससे पहले मंगलवार को एक ट्विटर यूजर के ट्वीट का जवाब देते हुए कहा था कि चीन की मंशा लद्दाख के डेमचोक पर कब्जा करने की है। इस बीच तालिबान और पाकिस्तान कश्मीर घाटी में हाथ आजमाएगा। क्या मोदी सरकार ‘निर्बल’ होकर देखती रहेगी? मोदी को खुले तौर पर घोषित करना चाहिए कि राष्ट्रपति शी जीनपिंग की सरकार आक्रामक है।

हाल ही में उन्होंने ट्वीट किया था कि चीनी सेना अक्साई चीन के इलाके में सैन्य हवाई अड्डा बना रही है और मोदी सरकार कुंभकर्ण मोड में बनी हुई है। साथ ही उन्होंने लिखा था कि अर्थव्यवस्था के ढहने से देश कमजोर हो गया है। एयरफोर्स में भी चीनी इलेक्ट्रॉनिक्स पर आधारित एस-400 का इस्तेमाल हो रहा है और भारत ने चीन के सामने अपने हवाई लाभ को खो दिया है जिससे कि चीन से आगे निकलने के सपने पर पानी फिर गया है।

बता दें कि पिछले काफी दिनों से भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी चीन और पाकिस्तान को लेकर केंद्र सरकार पर हमलावर हैं। पिछले दिनों उन्होंने गलवान घाटी में हुए हमले के एक साल होने पर कहा था कि क्या यह खेदजनक नहीं है कि साल दर साल पुलवामा को पीएम, रक्षा मंत्री, गृहमंत्री याद करते हैं लेकिन हमारे जवानों द्वारा चीनी पीएलए के खिलाफ प्रदर्शित असाधारण बहादुरी को भुला दिया गया।