देश में कोरोनावायरस महामारी का संकट अभी टला नहीं है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट समेत ज्यादातर न्यायालय अभी भी कई मामलों की सुनवाई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कर रहे हैं। हालांकि, वीसी में अब तक कई बार कोर्ट के सामने अजीबो-गरीब वाकये सामने आ चुके हैं। हालांकि, जज ज्यादातर समय इन मामलों को हंसी में टाल देते हैं। ऐसा ही एक मामला शुक्रवार को भी आया, जब एक केस की सुनवाई करने के दौरान चीफ जस्टिस को स्क्रीन की ब्राइटनेस काफी कम दिखी। इसके बाद अपने चिर-परिचित अंदाज में उन्होंने स्टाफ को स्क्रीन की रोशनी बढ़ाने के निर्देश दिए, जिससे कोर्ट में मुस्कुराहटों का माहौल बन गया।

क्या बोले चीफ जस्टिस?: चीफ जस्टिस ने सुनवाई के दौरान ही स्टाफ को स्क्रीन की ब्राइटनेस बढ़ाने का निर्देश देते हुए कहा, “ब्राइटनेस बढ़ाइए, सुप्रीम कोर्ट अंधेरे में नहीं रखा जा सकता।” सीजेआई के इस कथन के बाद कोर्ट का माहौल काफी हल्का हो गया। बता दें कि वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग पर सुनवाई के दौरान जजों के बीच हंसी-ठिठोली का ये कोई पहला किस्सा नहीं था। आमतौर पर माहौल को हल्का करने के लिए जज और वकील ह्यूमर का इस्तेमाल करते रहते हैं।

इससे पहले चीफ जस्टिस शरद अरविंद बोबडे ने एक मामले की सुनवाई के दौरान मुकुल रोहतगी से पूछा था कि क्या वे किसी म्यूजियम में बैठे हैं?, क्योंकि पीछे काफी मूर्तियां और स्टैच्यू दिखाई दे रहे हैं। इस पर रोहतगी ने मजाकिया लहजे में कहा कि वे अपने फॉर्महाउस पर बैठे हैं। अनलॉक के दौरान वे अपने फॉर्म आ गए हैं, ताकि दिन में दो बार स्विमिंग का मजा ले सकें।

VC में लापरवाही बरतने के लिए फटकार भी लगा चुके हैं जज: सर्वोच्च न्यायालय ने पिछले साल भी एक मामले की सुनवाई के दौरान वीडियो-कान्फ्रेंस लिंक पर एक व्यक्ति के कमीज पहने बिना नजर आने पर नाराजगी जताई थी। तब जजों ने कहा था, ‘‘वीडियो कान्फ्रेंस के जरिए सुनवाई करते हुए कई महीने हो जाने के बावजूद इस प्रकार की चीजें हो रही हैं।’’ सुनवाई के दौरान स्क्रीन पर एक व्यक्ति के कमीज के बिना नजर आने पर पीठ ने कहा, ‘‘यह सही नहीं है।’’ इससे पहले अक्टूबर और जून में भी ऐसे ही वाकये हुए थे, जिस पर कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की थी। इसके अलावा कुछ अन्य मौकों पर वकील हुक्का पीते और बेवजह हरकतें करते भी देखे जा चुके हैं, जिस पर कोर्ट उन्हें फटकार लगा चुका है।