दिल्ली में यमुना तट पर छठ पूजा की इजाजत मांगने के लिए सुप्रीम कोर्ट में जनहित याचिका दायर की गई है। इस याचिका में दिल्ली सरकार और पुलिस को यह निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि यमुना नदी के किनारे छठ पूजा की इजाजत दी जाए और पूजा करने वालों के खिलाफ कोई मामला नहीं दर्ज किया जाए।

दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (डीडीएमए) ने 29 अक्टूबर के अपने आदेश में यमुना के तट को छोड़कर बाकी तय की गई जगहों पर छठ पूजा की अनुमति दी थी।

सोमवार से शुरू हुई चार दिवसीय छठ पूजा का समापन व्रतियों द्वारा उगते सूरज को अर्घ्य देने और अपना उपवास तोड़ने के साथ 11 नवंबर को होगा।

यह याचिका सामाजिक कार्यकर्ता होने का दावा करने वाले संजीव नेवार और स्वाति गोयल शर्मा द्वारा अधिवक्ता शशांक शेखर झा के माध्यम से दायर की गई है। इसमें दिल्ली सरकार, डीडीएमए, दिल्ली जल बोर्ड और केंद्र को पक्ष बनाया गया है।

यमुना के किनारे छठ पूजा पर रोक लगाने के डीडीएमए के आदेश को लेकर आम आदमी पार्टी सरकार और विपक्षी भारतीय जनता पार्टी के बीच तीखी राजनीतिक बहस भी चल रही है।

बीजेपी सांसद मनोज तिवारी तो इस मामले में विरोध जताने की वजह से हॉस्पिटल में एडमिट हो चुके हैं। दरअसल वह छठ समारोह पर प्रतिबंध को लेकर दिल्ली में सीएम केजरीवाल के घर के पास एक विरोध प्रदर्शन के दौरान घायल हो गए थे। उनके कान में चोट आई थी।

भाजपा, दिल्ली आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के उस आदेश का विरोध कर रही थी जिसमें कोविड-19 महामारी के मद्देनजर सार्वजनिक स्थानों और नदी तटों पर छठ समारोह पर रोक लगाई गई थी। डीडीएमए ने तो 30 सितंबर के एक आदेश में त्योहारों के दौरान मेलों और खाने के स्टालों पर भी प्रतिबंध लगा दिया था।

बता दें कि बीते महीने अक्टूबर के आखिरी दिनों में दिल्ली में कड़े नियमों के साथ छठ पूजा मनाने की इजाजत दी गई थी। ये जानकारी दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने दी थी। उन्होंने बताया था कि DDMA की बैठक में सार्वजनिक जगहों पर छठ पूजा के आयोजन को अनुमति मिली है।

हालांकि इस दौरान ये साफ कहा गया था कि छठ पूजा को मनाने की इजाजत तो है लेकिन यमुना के घाट पर इसका आयोजन नहीं किया जा सकेगा। इसके लिए कुछ जगहों को चिन्हित किया जाएगा।