मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान से एक चीता भटक कर करीब 50 किलोमीटर दूर राजस्थान के करौली जिले में पहुंच गया। वन विभाग के एक अधिकारी ने इसकी जानकारी दी। करौली के सिमारा गांव के खेतों में शनिवार को ग्रामीणों ने चीते को देखा और वन विभाग को इसकी सूचना दी। सूचना पर चीते को बचाने और मानव-पशु संघर्ष को रोकने के लिए राजस्थान एवं मध्यप्रदेश के वन विभाग की टीमों ने मौके पर पहुंच कर उसे पकडने की कार्रवाई शुरू की।

करौली के वन्यजीव उप वन संरक्षक पीयूष शर्मा ने बताया ‘सिमारा गांव में एक जंगली जानवर के बारे में जानकारी मिली थी। जानवर की पहचान नर चीता के रूप में की गई है।’ उन्होंने बताया कि चीता मध्यप्रदेश के श्योपुर और सबलगढ़ से होते हुए गांव तक पहुंचा है। मध्यप्रदेश के ये दोनों शहर चंबल नदी से सटे हुए हैं और करौली का सिमारा गांव भी चंबल के किनारे स्थित है। चीते के खेतों में पहुंचने पर ग्रामीणों में दहशत फैल गई।

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यह पहला मौका नहीं है जब कूनो राष्ट्रीय उद्यान से चीता भटककर राजस्थान में आ गया है। चार महीने पहले भी मध्यप्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान से से लापता चीता प्रदेश के बारां जिले के जंगल में मिला था। इस पर कूनो की टीम बारां पहुंची और उसे बेहोश कर उसे पकड़ा गया था ।

प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य 550 डालर प्रति टन निर्धारित

जनसत्ता: सरकार ने शनिवार को प्याज निर्यात पर प्रतिबंध हटा दिया, लेकिन साथ ही न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 550 डालर प्रति टन तय किया है। सरकार ने न्यूनतम निर्यात मूल्य (एमईपी) 550 डालर प्रति टन (लगभग 46 रुपए प्रति किलोग्राम) और साथ ही 40 फीसद निर्यात शुल्क लगाया है।शुल्क को ध्यान में रखते हुए, निर्यात खेप को 770 डालर प्रति टन (लगभग 64 रुपए प्रति किलोग्राम) से नीचे भेजने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

केंद्र ने पिछले साल आठ दिसंबर को उत्पादन में गिरावट की चिंताओं के बीच खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। पिछले 4-5 साल के दौरान देश से सालाना 17 लाख से 25 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) ने एक अधिसूचना में कहा, ‘प्याज की निर्यात नीति को संशोधित कर तत्काल प्रभाव से और अगले आदेश तक 550 डालर प्रति टन के एमईपी के तहत प्रतिबंध से मुक्त किया गया है।’

सरकार ने कल रात प्याज के निर्यात पर 40 फीसद शुल्क लगाया था। यह निर्णय इस मायने में अहम है क्योंकि यह महाराष्ट्र के नासिक, अहमदनगर और सोलापुर जैसे प्रमुख प्याज क्षेत्रों में असर डालेगा। इस क्षेत्र के किसान प्रतिबंध हटाने की मांग कर रहे थे, ताकि उन्हें अपनी पैदावार का बेहतर मूल्य मिल सके।

अप्रैल में नासिक की लासलगांव मंडी में प्याज की माडल कीमत 15 रुपए प्रति किलोग्राम थी। उन्होंने कहा कि यह निर्णय रबी सत्र में 191 लाख टन प्याज उत्पादन के नवीनतम अनुमान पर विचार करने के बाद लिया गया है। यह निर्णय लेते समय वैश्विक बाजारों में प्याज की उपलब्धता और कीमतों को भी ध्यान में रखा गया।

उधर, केंद्र सरकार के शनिवार को प्याज के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के बाद महाराष्ट्र के नासिक जिले के लासलगांव मंडी में इसकी कीमतें औसतन 200 रुपए प्रति कुंतल बढ़ गर्इं। लासलगांव में कृषि उत्पादन बाजार समिति (एपीएमसी) को भारत में सबसे बड़ा थोक प्याज बाजार बताया जाता है। सूत्रों ने बताया कि दिन के दौरान लगभग 200 कुंतल प्याज एपीएमसी में पहुंचा। उन्होंने कहा कि गुणवत्ता के आधार पर कीमतें 801 रुपए, 2,551 रुपए और 2,100 रुपए प्रति कुंतल के बीच थीं।