राज्यसभा में विपक्ष ने विदेश यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा ‘60 साल की गंदगी साफ करने’ संबंधी बयान दे कर भारत की छवि खराब करने का आरोप लगाया और उनसे सदन में आ कर स्पष्टीकरण देने की मांग करते हुए भारी हंगामा किया। इसके कारण सदन की बैठक बार बार स्थगित करनी पड़ी।
हालांकि सत्ता पक्ष की ओर से इस मुद्दे पर कहा गया कि प्रधानमंत्री ने अपनी विदेश यात्रा के दौरान भारतीय मूल के लोगों के सामने निर्णय प्रक्रिया को स्वच्छ बनाने की बात कही थी। उन्होंने कहा कि यदि इस मुद्दे पर सदन में चर्चा की जाती है तो पिछले 60 साल के दौरान हुए भ्रष्टाचार का उल्लेख भी किया जाएगा।
इससे पहले कांग्रेस के आनंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विदेशी भूमि पर दिए गए प्रधानमंत्री के इन बयानों पर नियम 267 के अंतर्गत कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराई जानी चाहिए। हालांकि इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के नेताओं का पक्ष सुनने के बाद उप सभापति पीजे कुरियन ने शर्मा के कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया।
सदन की बैठक शुरू होते ही शर्मा ने कहा कि उन्होंने विदेश में दिए गए प्रधानमंत्री के बयानों को लेकर नियम 267 के तहत कार्य स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दिया है। उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री के बयान से देश की गरिमा पर आंच आई है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से यह परंपरा रही है कि जब भी प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं तो वे पूरे देश के प्रधानमंत्री के तौर पर बाहर जाते हैं और ऐसी बातें कहते हैं जिससे देश की गरिमा और सम्मान बढ़े। इसी प्रकार प्रधानमंत्री के विदेश में रहने के समय विपक्ष भी उनकी आलोचना नहीं करता।
शर्मा ने कहा कि लेकिन मोदी ने इस महीने फ्रांस, जर्मनी एवं कनाडा की यात्रा के दौरान इस परंपरा को तोड़ा है। उन्होंने कहा कि मोदी ने जर्मनी की चांसलर एंगिला मरकेल की उपस्थिति में यह कहा था कि भारत संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता के लिए भीख मांगा करता था लेकिन अब वह ऐसा नहीं करेगा। भारत ने कभी भी किसी के समक्ष भीख नहीं मांगी।
संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि इस तरह के अतिरंजित बयानों को इजाजत नहीं दी जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शर्मा को यह बताना चाहिए कि प्रधानमंत्री ने यह बयान कहां दिया। इस पर शर्मा ने कहा कि मोदी ने टोरांटो में कहा था कि पहले स्कैम इंडिया था अब यह स्किल इंडिया है। शर्मा ने कहा कि भारत कभी घोटाला नहीं हो सकता। उन्होंने कहा कि गलतियां हो सकती हैं लेकिन यह नहीं कहा जाना चाहिए कि पूरा देश ही घोटाला है।
कांग्रेस नेता ने कहा कि मोदी ने विदेश में कहा था कि वह 60 साल की गंदगी साफ करना चाहते हैं। प्रधानमंत्री ने देश की छवि खराब की है और अपनी प्रतिष्ठा भी कम की है। उन्होंने जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी और अटल बिहारी वाजपेयी सहित सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों का अपमान किया है। प्रधानमंत्री देश के प्रमुख के रूप में बाहर जाते हैं, किसी पार्टी के नेता के रूप में नहीं।
भाजपा के कई सदस्यों ने शर्मा की बात का विरोध किया और बीच में टोकाटाकी की। पार्टी के भूपेंद्र यादव ने कहा कि जब विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद द्वारा दिए गए लोक महत्त्व के एक विषय पर ध्यानाकर्षण प्रस्ताव सदन में सूचीबद्ध है तो ऐसे में किसी अन्य मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव लाना क्या उचित होगा इस पर कुरियन ने कहा कि शर्मा को इस प्रस्ताव के बारे में बोलने की अनुमति इसलिए दी गई है ताकि आसन इसे स्वीकार करने के बारे में कोई निर्णय कर सके।
विपक्ष के नेता आजाद ने कहा कि जब वह 1982-83 में राज्य मंत्री थे तो तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने विदेश यात्रा का दौरा करते समय यह निर्देश दिया था कि विदेश में उन्हें ऐसा कुछ भी नहीं कहना या करना चाहिए जिससे देश की गरिमा पर आंच आए। जर्मनी, कनाडा में मोदी के भाषण से देश की छवि पर आंच आई है। उन्होंने प्रधानमंत्री से सदन में आ कर इस मुद्दे पर स्पष्टीकरण देने की मांग की। जद (एकी) के शरद यादव ने कहा कि भारत के इतिहास में कभी भी आपसी मतभेदों को देश के बाहर नहीं ले जाया गया। उन्होंने कहा कि विदेश नीति पर लगातार आम सहमति बनी रहती है।
सपा के रामगोपाल यादव ने कहा कि मोदी ने पहली बार स्थापित विदेश नीति की परंपरा का विचलन किया है। उन्होंने कहा कि संयुक्त राष्ट्र में प्रधानमंत्री के दौरे के बाद सांसदों का शिष्टमंडल दो हिस्सों में जाता है। लेकिन पहली बार इसे रोक दिया गया। यादव ने कहा कि यदि प्रधानमंत्री विदेश जा कर पिछले 60 साल के कचरे की बात करते हैं तो वह अटल बिहारी वाजपेयी के शासन के बारे में भी बोलते हैं।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर कार्य स्थगन प्रस्ताव स्वीकार करने से पहले ही सदस्य मुद्दे के गुण-दोष पर बोल रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमें अपने प्रधानमंत्री की छवि खराब नहीं करनी चाहिए। बसपा की मायावती, तृणमूल कांग्रेस के सुखेंदु शेखर राय एवं माकपा के तपन कुमार सेन ने भी इस मुद्दे पर चर्चा कराए जाने की मांग का समर्थन करते हुए कहा कि विदेश में जा कर प्रधानमंत्री को ऐसा कुछ भी नहीं कहना चाहिए जिससे देश की छवि प्रभावित होती हो।
सदन के नेता और वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री ने विदेश में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित करते हुए कहा था कि हम निर्णय प्रक्रिया को स्वच्छ बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि यदि इस प्रस्ताव पर चर्चा हुई तो देश में पिछले 60 साल के दौरान भ्रष्टाचार के जितने कांड हुए, उन पर भी चर्चा होनी चाहिए। उन्होंने शरद यादव को याद दिलाया कि आपातकाल के दौरान कई नेताओं ने पूरी दुनिया में जा कर इस दौरान देश में हुए मानवाधिकार उल्लंघनों का ब्योरा दिया था।
जेटली ने कहा कि प्रधानमंत्री को यह कहने का पूरा अधिकार है कि 60 साल में जो भ्रष्टाचार हुआ उससे हम अपने को अलग करते हैं और हम एक ईमानदार शासन देंगे। उन्होंने प्रधानमंत्री के बयान पर कार्य स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा कराने की मांग करने के लिए विपक्ष को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि भारत की बदनामी भ्रष्टाचार से नहीं हुई लेकिन अब भ्रष्टाचार की चर्चा करने से क्या उसकी बदनामी हो जाएगी।
इसके बाद कुरियन ने सदन के विभिन्न नियमों का हवाला देते हुए कांग्रेस के उप नेता शर्मा के कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया।
इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री से स्पष्टीकरण की मांग पर नारेबाजी करते हुए कांग्रेस के कई सदस्य आसन के सामने आ गए। हंगामे के कारण कुरियन ने बैठक को दोपहर 11 बज कर 50 मिनट पर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दिया। जब दोबारा बैठक शुरू हुई तब सदन में वही नजारा था। कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी के लिए उन्हें सदन में बुलाने और जवाब दिए जाने की मांग दोहराई। इस बार कांगे्रस के सदस्य आसन के समक्ष न आ कर अपने ही स्थानों से यह मुद्दा उठाते रहे।
सभापति हामिद अंसारी ने कहा कि सदस्यों के उठाए गए मुद्दे पर 50 मिनट का समय जाया हो चुका है। उन्होंने कहा कि अभी प्रश्नकाल का समय है और सदस्य प्रश्नकाल चलने दें। लेकिन हंगामा थमते न देख सभापति ने बैठक 15 मिनट के लिए स्थगित कर दी। दोपहर करीब सवा बारह बजे बैठक शुरू होने पर कांग्रेस सदस्यों ने प्रधानमंत्री की टिप्पणी के लिए उन्हें सदन में बुलाने और जवाब दिए जाने की मांग करते हुए फिर से हंगामा शुरू कर दिया। संसदीय कार्य राज्य मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा कि कई घोटालों पर सदन में चर्चा की जा चुकी है और सदस्य फिर से चर्चा चाहें तो नोटिस दे दें। सरकार चर्चा के लिए तैयार है।
शर्मा ने कहा कि यह सच है कि घोटालों पर संसद में कई बार चर्चा हो चुकी है। लेकिन स्कैम इंडिया जैसी टिप्पणी का असर देश की प्रतिष्ठा पर पड़ता है। सदन के नेता अरुण जेटली ने कहा कि एक बात तो आप मानेंगे। आज प्रौद्योगिकी बहुत आधुनिक है और चर्चा चाहे सदन मे हो या बर्लिन में, इंटरनेट उसे पल भर में सब जगह पहुंचा देगा। आज कोई भी बात सीमित नहीं रह सकती।
शर्मा ने दावा किया कि नेता सदन ने गलत बयान दिया है और सदन को गुमराह किया है। शरद यादव ने कहा कि सोशलिस्ट पार्टी के नेता आपातकाल के समय देश से बाहर गए थे और वह भी उनमें थे। लेकिन हम उस समय कोई मंत्री या किसी सरकारी पद पर नहीं थे। उन्होंने कहा कि वह स्थिति को सही परिप्रेक्ष्य में रख दें। जेटली के बयान का जिक्र करते हुए यादव ने कहा कि उन्होंने जो कहा है, वह सही नहीं है। उन्होंने कहा कि मंत्री के रूप में बाहर जाकर हमने ऐसा कुछ नहीं किया है।
राज्यसभा में कड़ा विरोध
* कांग्रेस के आनंद शर्मा ने यह मुद्दा उठाते हुए कहा कि विदेशी भूमि पर दिए गए प्रधानमंत्री के इन बयानों पर नियम 267 के अंतर्गत कार्य स्थगन प्रस्ताव के तहत चर्चा कराई जानी चाहिए।
* उन्होंने दावा किया कि प्रधानमंत्री के बयान से देश की गरिमा पर आंच आई है। प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू के समय से यह परंपरा रही है कि जब भी प्रधानमंत्री विदेश जाते हैं तो वे पूरे देश के प्रधानमंत्री के तौर पर बाहर जाते हैं।
* इस मुद्दे पर विभिन्न दलों के नेताओं का पक्ष सुनने के बाद उप सभापति पीजे कुरियन ने शर्मा के कार्य स्थगन प्रस्ताव के नोटिस को खारिज कर दिया।