कांग्रेस ने नेशनल हेराल्ड मामले की पृष्ठभूमि में बुधवार को दूसरे दिन लगातार लोकसभा में भारी हंगामा किया। लेकिन सत्ता पक्ष ने उसके विरोध को नजरअंदाज करते हुए शोरशराबे के बीच ही सदन की कार्यवाही चलाई और दिन के सूचीबद्ध सभी कामकाज को निपटाया। कांग्रेस को हालांकि तृणमूल कांग्रेस के रूप में एक समर्थक दल मिला। सरकार ने पलटवार भी किया कि मुख्य विपक्षी दल नेशनल हेराल्ड मामले में न्यायपालिका को चेतावनी देने के लिए संसद का इस्तेमाल कर रहा है।
सदन की कार्यवाही शुरू होने से लेकर समाप्त होने तक कांग्रेसी सदस्य आसन के समक्ष खड़े होकर नारेबाजी करते रहे। लेकिन अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने हंगामे के बीच ही प्रश्नकाल और शून्यकाल चलाया। भोजनावकाश के बाद हंगामे के बीच ही उपाध्यक्ष एम थंबीदुरै ने न केवल एक विधेयक को पारित कराया बल्कि देश में सूखे की स्थिति पर अधूरी चर्चा को भी आगे बढ़वाया। हंगामे के चलते एक बार भी सदन की कार्यवाही स्थगित नहीं की गई।
कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खरगे ने आरोप लगाया कि देश में दो तरह के कानून हैं। एक कानून विपक्ष के लिए और एक कानून इस देश की सरकार के लिए है। उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह विपक्ष पर दमन की नीति और बदले की भावना अपना रही है और विपक्ष के नेताओं को सताया जा रहा है। उन्हें डराने की कोशिश की जा रही है। सदन में व्यवस्था नहीं होने के बावजूद सरकार विधेयक पारित कराने सहित सदन की कार्यसूची के एजंडे को आगे बढ़ा कर विपक्ष का गला घोंटने का प्रयास कर रही है।
संसदीय कार्य मंत्री एम वेंकैया नायडू ने विपक्ष के आरोपों को नकारते हुए उलटे मुख्य विपक्षी दल पर तानाशाही पूर्ण रवैया अपनाने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि मंगलवार को सूखे जैसे महत्त्वपूर्ण विषय पर उन्होंने चर्चा नहीं होने दी। दस पंद्रह लोग आसन के निकट खड़े होकर सदन को चलने नहीं दे रहे हैं।
शून्यकाल में तृणमूल कांग्रेस के सौगत राय ने खड़गे की बातों का समर्थन करते हुए कहा कि वे उनकी बातों से पूरी तरह सहमत हैं कि सरकार बदले की भावना से काम कर रही है व प्रधानमंत्री को इस पर जवाब देना चाहिए। लोकसभा अध्यक्ष द्वारा बोलने की अनुमति नहीं दिए जाने पर तृणमूल कांग्रेस सदस्य सदन से वाकआउट कर गए।
उधर नायडू ने कहा कि विपक्षी सदस्यों के पास कोई तथ्य नहीं है। यह कोर्ट के आदेश का पालन करना नहीं चाहते हैं। एक न्यायिक आदेश आया है। आप संसद के जरिए न्यायपालिका को चेतावनी दे रहे हैं। यह राष्ट्र हित में नहीं है।
कांग्रेस नेता खरगे ने कहा-हम इसलिए विरोध कर रहे हैं कि देश में दो तरह का कानून है। हम न्यायापालिका के खिलाफ नहीं हैं हम सरकार की नीयत के खिलाफ विरोध कर रहे हैं। सरकार जो दमन की नीति अपना रही है उसके खिलाफ विरोध कर रहे हैं। खरगे जब अपनी बात रख रहे थे तो कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और पार्टी उपाध्यक्ष राहुल गांधी सदन में मौजूद थे। सोनिया उन्हें बीच बीच में कुछ सुझाव भी दे रही। प्रश्नकाल में इस हंगामे के वक्त ज्यादातर समय प्रधानमंत्री सदन में मौजूद थे।
भोजनावकाश के बाद सवा दो बजे सदन की कार्यवाही फिर से शुरू होने पर वित्त राज्य मंत्री जयंत सिन्हा ने कांग्रेसी सदस्यों की नारेबाजी के बीच भारतीय न्यास अधिनियम 1882 में संशोधन के लिए विधेयक पेश किया। खरगे ने इस पर आरोप लगाया कि सरकार विपक्ष को दबा रही है, गला घोंट रही है और उसका अपमान कर रही है। यह रवैया गलत है। हम आपका संरक्षण चाहते हैं। विधेयक पारित नहीं होना चाहिए।
नायडू ने इससे पूर्व कहा कि संसद में ऐसे नहीं चल सकता क्योंकि देश की जनता विधायी कामकाज चाहती है। हालांकि हंगामे में ही विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया गया और इसके बाद सदन ने देश में सूखे की स्थिति पर अधूरी चर्चा को आगे बढ़ाया।