चंद्रयान 3 की सफल उड़ान शुरू हो गई है। आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा से भारत के मून मिशन ने अपनी सफल लॉन्चिंग कर दी है। बताया जा रहा है कि एक महीने बाद, करीब 23 से 24 अगस्त के बीच में चंद्रयान चांद पर अपनी सॉफ्ट लैंडिंग करेगा। लेकिन असल परीक्षा उसी मोड़ पर है क्योंकि चंद्रयान 2 भी वहीं जाकर फेल हुआ था।
चांद से 400 मीटर की दूरी और सपने टूटे
असल में इसरो का उदेश्य था कि उसका स्पेसक्रॉफ्ट चांद के दक्षिणी ध्रुव पर सॉफ्ट लैंडिंग करे, लेकिन बताया जा रहा है कि लैंडर की चांद पर हार्ड लैंडिंग हुई, यानी कि वो क्रैश कर गया। असल में जब भारत का विक्रम लैंडर चांद से सिर्फ 400 मीटर की दूरी पर था, इसरो का संपर्क उससे टूट गया, ऐसे में जिस रफ्तार को कम करने की जरूरत थी, वो हो ही नहीं पाया।
विक्रम लैंडर की खराबी ने मिशन किया फेल
जानकारों के मुताबिक विक्रम लैंडर को लैंडिंग के दौरान 55 डिग्री पर रहना था, लेकिन वो 410 डिग्री तक झुक गया था। इसी वजह से चांद की कक्षा में स्थापित होने से पहले ही वो संपर्क से बाहर हो गया था। अगर उस समय इसरो का चंद्रयान 2 चांद पर सफल लैंडिंग कर लेता, तो वो ऐसा करने वाला चौथा देश बन जाता। अभी तक अमेरिका, चीन और रूस ने ये करके दिखाया है।
गलतियों से सीखा, चंद्रयान 3 में काफी कुछ बदला
वैसे इस बार इसरो ने पिछली तमाम गलतियों से सीख लिया है। इस बार लैंडिंग साइट के लिए 500×500 मीटर के छोटे से जगह के बदले 4.3 किमी x 2.5 किमी के बड़े जगह को टारगेट किया गया है। इसका यह मतलब हुआ की इस बार लैंडर को ज्यादा जगह मिलेगी और वो आसानी से सॉफ्ट लैंडिंग कर पाएगा। इस बार ईंधन की क्षमता भी बढ़ाई गई है ताकि अगर लैंडर को लैंडिंग स्पॉट ढूंढने में मुश्किलात का सामना करना पड़ा तो उसे वैकल्पिक लैंडिंग साइट तक आसानी से ले जाया सके। चंद्रयान-2 की तरह ही चंद्रयान-3 में भी स्वदेशी रोवर ले जाया जाएगा। चांद की सतह पर सॉफ्ट लैंडिंग करने के बाद रोवर चांद पर मौजूद केमिकल और तत्वों का अध्यन करेगा।