Chandrayaan-2 Vikram Lander Location: चंद्रयान-2 मिशन को लेकर भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) की उम्मीदें बरकरार हैं। वह लैंडर ‘विक्रम’ से संपर्क जोड़ने की हर संभव कोशिश में है, जो ‘हार्ड लैंडिंग’ के बाद फिलहाल चंद्रमा की सतह पर है। सोमवार को इसरो ने इसी बाबत खुशखबरी दी। कहा है कि विक्रम लैंडर बिल्कुल सुरक्षित है और जल्द ही उससे संपर्क साधा जाएगा।

मिशन से जुड़े इसरो अधिकारी के हवाले से समाचार एजेंसी पीटीआई-भाषा की रिपोर्ट में कहा गया, “ऑर्बिटर के कैमरे से भेजी तस्वीरों के मुताबिक यह तय जगह के बेहद नजदीक एक ‘हार्ड लैंडिंगग’ थी। लैंडर वहां साबुत है, उसके टुकड़े नहीं हुए हैं। वह झुकी हुई स्थिति में है।’’

उन्होंने आगे बताया- हम लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे हैं। इसरो के टेलीमेट्री, ट्रैकिंग और कमांड नेटवर्क (आईएसटीआरएसी) में एक टीम इस काम में जुटी है।’’ बता दें शनिवार को ‘विक्रम’ की लैंडिंग के अंतिम पलों में इसरो के कंट्रोल रूम से उसका संपर्क टूट गया था और वह तब चंद्रमा की सतह से 2.1 किमी की ऊंचाई पर था। लैंडर के भीतर ‘प्रज्ञान’ नाम का रोवर भी है।

उधर, कर्नाटक के राज्यपाल वजुभाई वाला ने कहा कि चंद्रयान-2 अभियान के नतीजों का असर देश के भावी अंतरिक्ष अभियानों पर नहीं पड़ेगा। राज्यपाल ने शनिवार रात कहा कि देश को अपने वैज्ञानिकों पर गर्व है और वह एकजुटता से भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के साथ खड़ा है।

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21:14 (IST)09 Sep 2019
चंद्रयान-2 सबसे उच्चतम गुणवतता वाला कैमरा हुआ यूज़

इसरो ने कहा, ‘‘आर्बिटर का कैमरा किसी भी चंद्र मिशन में इस्तेमाल किया गया अब तक का सबसे उच्चतम गुणवत्ता वाला कैमरा (0.3 मीटर) है। यह उच्च गुणवत्ता वाली तस्वीरें उपलब्ध कराएगा जो वैश्विक वैज्ञानिक समुदाय के लिए लाभकारी होंगी।’’

अंतरिक्ष एजेंसी ने ऑर्बिटर, लैंडर और रोवर युक्त इस मिशन के बारे में पूर्व में कहा था कि यह एक अद्वितीय मिशन है जो चांद के किसी एकमात्र क्षेत्र के अध्ययन पर नहीं, बल्कि एक ही बार में पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह के बाह्य मंडल, सतह और उप सतह सहित सभी क्षेत्रों का अध्ययन करने पर केंद्रित है।

19:39 (IST)09 Sep 2019
जल्द खुलेंगे अनसुलझे रहस्य!

यह उल्लेख करते हुए कि ऑर्बिटर पहले ही चांद की वांछित कक्षा में स्थापित किया जा चुका है, इसरो ने कहा, ‘‘यह अपने आठ अत्याधुनिक वैज्ञानिक उपकरणों का इस्तेमाल कर चंद्रमा की उत्पत्ति के बारे में हमारी समझ में वृद्धि करेगा और इसके दक्षिणी ध्रुव क्षेत्र में मौजूद खनिजों तथा जलीय कणों का मानचित्रण करेगा।’’

18:19 (IST)09 Sep 2019
'चंद्रयान-2 के 90-95 फीसदी उद्देश्य पूरे'

अंतरिक्ष एजेंसी ने लैंडर ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट जाने से प्रभावित हुए बिना कहा कि ‘चंद्रयान-2’ मिशन के 90-95 प्रतिशत उद्देश्य पूरे हुए हैं, जिनसे चंद्र विज्ञान को लगातार मदद मिलती रहेगी। बीते शनिवार को ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के वक्त ‘विक्रम’ का जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया था। ‘विक्रम’ के भीतर रोवर ‘प्रज्ञान’ भी है। ऑर्बिटर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए चांद की सतह पर पड़े ‘विक्रम’ का भी पता लगा लिया और उसकी तस्वीर इसरो को भेज दी।

17:33 (IST)09 Sep 2019
और क्या बोले ISRO अधिकारी?

अंतरिक्ष एजेंसी के एक अन्य अधिकारी ने कहा, ‘‘जीएसएलवी-मार्क ।।। (जिसने अंतरिक्ष यान को प्रक्षेपित किया) के शानदार प्रदर्शन और शानदार मिशन प्रबंधन की वजह से हमारे पास इसे (ऑर्बिटर) सात साल तक आगे जारी रखने के लिए पर्याप्त ईंधन है।’’ इसरो ने यह भी कहा कि सटीक प्रक्षेपण और उत्कृष्ट मिशन प्रबंधन ने ऑर्बिटर का जीवनकाल निर्धारित एक वर्ष की जगह लगभग सात साल सुनिश्चित कर दिया है।

17:06 (IST)09 Sep 2019
चंद्रयान-2 के ऑॅर्बिटर ने किया अत्यंत गौरवान्वित- ISRO

चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ का आखिरी वक्त में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूटने तक ‘चंद्रयान-2’ मिशन के त्रुटिरहित और सटीक प्रक्षेपण व शानदार प्रबंधन ने इसरो को ‘ऑर्बिटर’ के मोर्चे पर अत्यंत गौरवान्वित किया है। यह बात अंतरिक्ष एजेंसी के एक अधिकारी ने कही। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 2,379 किलोग्राम वजनी ऑर्बिटर का मिशन काल एक साल तय किया था, लेकिन अब यह लगभग सात साल तक काम कर सकता है।

इसरो के एक अधिकारी ने कहा, ‘‘ऑर्बिटर में पर्याप्त ईंधन मौजूद है। यान को चांद की कक्षा में प्रवेश कराने तक हमने किसी त्रुटि का सामना नहीं किया। अतिरिक्त ईंधन का बिलकुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया। हर चीज योजना के अनुरूप हुई। हमारे पास (आॅर्बिटर में) अतिरिक्त ईंधन मौजूद है।’’

16:24 (IST)09 Sep 2019
ISRO की सफाई- के सिवन का नहीं है टि्वटर अकाउंट


इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (इसरो) ने के.सिवन के नाम के फर्जी अकाउंट्स और पोस्ट को लेकर सोमवार को सफाई जारी की। ट्वीट कर कहा गया, 'सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म्स पर के सिवन के नाम से अकाउंट्स चलाए जा रहे हैं। ऐसे में हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि इसरो चीफ डॉ.के सिवन का कोई पर्सनल अकाउंट नहीं है।'

13:08 (IST)09 Sep 2019
सिवन ने की मोदी की तारीफ

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के प्रमुख के. सिवन ने रविवार को कहा कि चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंंिडग’ का अभियान अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं होने के बाद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संबोधन और देश के समर्थन ने अंतरिक्ष एजेंसी के वैज्ञानिकों का मनोबल बढ़ाया। इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की ‘सॉफ्ट लैंंिडग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था और चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर उसका संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया था।

12:15 (IST)09 Sep 2019
विक्रम ने की हार्ड लैंडिंग

लैंडर को पृथ्वी के प्राकृतिक उपग्रह (चंद्रमा) पर ‘सॉफ्ट लैंंिडग’ के लिए और एक चंद्र दिवस (पृथ्वी के करीब 14 दिनों के बराबर) काम करने के लिए डिजाइन किया गया था। इसरो प्रमुख सिवन ने रविवार को कहा कि चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के चंद्रमा की सतह पर होने का पता चला है और लैंडर ने निश्चित ही ‘हार्ड लैंंिडग’ की है। इसी के साथ सिवन ने स्वीकार कर लिया कि नियोजित ‘सॉफ्ट लैंंिडग’’ सफल नहीं रही। गौरलतब है कि इसरो द्वारा चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के लैंडर विक्रम की ‘सॉफ्ट लैंंिडग’ का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो पाया था और चंद्रमा की सतह से महज 2.1 किलोमीटर की दूरी पर उसका संपर्क जमीनी स्टेशन से टूट गया था। चंद्रमा पर खोज के लिए देश के दूसरे मिशन का सबसे जटिल चरण माने जाने के दौरान लैंडर चंद्रमा की सतह पर ‘सॉफ्ट लैंंिडग’ के बिलकुल करीब था, जब इससे संपर्क टूट गया।

11:09 (IST)09 Sep 2019
अगले 10 साल में चांद पर बेस बनाएगा भारत!

देश के एक नामी वैज्ञानिक का मानना है कि अगले 10 साल में भारत चांद पर एक बेस स्थापित करने में कामयाब होगा। डीआरडीओ के पूर्व वैज्ञानिक एवं ब्रह्मोस मिसाइल कार्यक्रम का नेतृत्व करने वाले ए शिवतनु पिल्लई ने दावा किया है कि भारत हीलियम-3 प्राप्त करने के लिए 10 साल में चंद्रमा की सतह पर एक बेस स्थापित करने में सक्षम हो जाएगा। पिल्लई ने कहा कि हीलियम-3 भविष्य की ऊर्जा का नया स्रोत है। हीलियम-3 एक गैर रेडियोसक्रिय पदार्थ है जो यूरेनियम की तुलना में 100 गुना अधिक ऊर्जा पैदा कर सकता है। पिल्लई ने कहा कि अंतरिक्ष कार्यक्रम में, हम उन चार देशों में शामिल हैं जिन्होंने प्रौद्योगिकी को लेकर महारत हासिल की है। उन्होंने कहा कि भारत बहुमूल्य कच्चे माल (हीलियम-3 के) के प्रचुर भंडार का प्रोसेस करने के लिए चंद्रमा पर एक फैक्टरी स्थापित करने और उससे प्राप्त किए गए हीलियम-3 को पृथ्वी पर लाने में सक्षम हो जाएगा। पिल्लई ने कहा कि चंद्रमा पर भारत का बेस सौरमंडल में अन्य ग्रहों पर अभियानों के लिए भविष्य के प्रक्षेपणों का एक केंद्र बन जाएगा।

11:08 (IST)09 Sep 2019
नासा ने की इसरो की तारीफ

उधर, इसरो के सराहनीय प्रयास का नासा भी कायल हो गया है और उसने कहा कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडर ‘विक्रम’ की सॉफ्ट लैंडिंग कराने की भारत की कोशिश ने उसे 'प्रेरित' किया है। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा कि वह भारतीय एजेंसी के साथ सौर प्रणाली पर अन्वेषण करना चाहती है। चंद्रमा की सतह पर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की सॉफ्ट लैंडिंग का इसरो का अभियान शनिवार को अपनी तय योजना के मुताबिक पूरा नहीं हो सका। लैंडर का अंतिम क्षणों में जमीनी स्टेशन से संपर्क टूट गया। इसरो के अधिकारियों के मुताबिक चंद्रयान-2 का आर्बिटर पूरी तरह सुरक्षित और सही है।

10:57 (IST)09 Sep 2019
पीएम मोदी जमकर कर रहे इसरो की तारीफ

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि देश में ‘‘इसरो स्पिरिट’’है और चंद्रमा मिशन चंद्रयान -2 ने देश को जोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि देश अब सफलता तथा विफलता से परे नजर आता है। मोदी ने भाजपा की ‘विजय संकल्प’ रैली को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘सात सितंबर की देर रात एक बजकर 50 मिनट पर हुई एक घटना ने पूरे देश को जगाया और जोड़ दिया। जैसे (वहां) एक ‘स्पोर्ट्समैन स्पिरिट’ है, देश में एक ‘इसरो स्पिरिट’चल रही है। देशवासी नकारात्मकता को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं हैं।’’ प्रधानमंत्री ने कहा कि रात एक बजकर 50 मिनट पर पूरा देश चंद्रयान-2 की खुशखबरी देखने के लिए टेलीविजन के सामने बैठा हुआ था। मोदी ने कहा, ‘‘उन 100 सेकेंड में देश ने जो किया उसने 125 करोड़ देशवासियों के उत्साह को प्रर्दिशत किया।’’प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘100 सेकेंड ने पूरे देश को दिखाया कि आशा और विश्वास की शक्ति क्या होती है, और दृढ़ संकल्प और क्षमता क्या है।’’ उन्होंने कहा कि केवल वही देश अपने सपने को पूरा करने में सक्षम है जो सफलता और विफलता से परे है। देश ने उन 100 सेकेंड में सफलता और असफलता की परिभाषा बदल दी।

10:52 (IST)09 Sep 2019
एक साल तक अहम डेटा भेजता रहेगा ऑर्बिटर

अंतरिक्ष विशेषज्ञ लेले ने कहा कि ऑर्बिटर के काम करने की नियोजित अवधि एक साल से अधिक की है इसलिए वह डेटा भेजता रहेगा जबिक रोवर केवल एक चंद्रमा दिवस के लिए प्रयोग करने वाला था। एक चंद्रमा दिवस पृथ्वी के 14 दिनों के बराबर होता है। साथ ही उन्होंने कहा कि छवियों एवं संबंधित डेटा के साथ लैंडर की स्थिति का पता लगाना आसान होगा। वहीं, इसरो के पूर्व वैज्ञानिक एस नांबी नारायणन ने कहा कि अगली चुनौती लैंडर के साथ संपर्क स्थापित करने की है। उन्होंने कहा कि फिर से संपर्क स्थापित करने की संभावना कम है क्योंकि हो सकता है कि लैंडर ने क्रैश लैंडिंग की हो।

10:51 (IST)09 Sep 2019
सही काम कर रहा है ऑर्बिटर

इसरो द्वारा रविवार को चंद्रयान-2 के विक्रम मॉड्यूल की स्थिति की जानकारी देना ‘‘नि:संदेह साबित करता है’’ कि ऑर्बिटर सही से काम कर रहा है। अंतरिक्ष विशेषज्ञ अजय लेले ने यह जानकारी दी। रक्षा अध्ययन एवं विश्लेषण संस्थान के वरिष्ठ शोधार्थी लेले ने यह भी कहा कि यह महज वक्त की बात थी कि ऑर्बिटर विक्रम को कब तक खोज पाता है लेकिन अब सवाल यह है कि लैंडर किस स्थिति में है। लेले ने कहा, ‘‘लैंडर मॉड्यूल की स्थिति बिना किसी संदेह के साबित करती है कि ऑर्बिटर बिल्कुल सही तरीके से काम कर रहा है। ऑर्बिटर मिशन का मुख्य हिस्सा था क्योंकि इसे एक साल से ज्यादा वक्त तक काम करना है।’’ उन्होंने कहा कि आॅर्बिटर के सही ढंग से काम करने से मिशन के 90 से 95 फीसदी लक्ष्य हासिल कर लिए जाएंगे।