Champai Soren: झारखंड में आज बड़ा घटनाक्रम देखने को मिला। क्योंकि हेमंत सोरेन के करीबी और झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री आज भाजपा में शामिल हो गए। चंपई सोरेन ने हाल ही में JMM से नाता तोड़ लिया था। हाल ही में अमित शाह से मुलाकात के बाद असम के सीएम हिमंत सरमा ने जानकारी दी थी कि वो बीजेपी की सदस्यता लेंगे। अब उसी कड़ी में उन्होंने यह बड़ा फैसला ले लिया और चुनाव से ठीक पहले वे बीजेपी के साथ चले गए।

चंपई ने अपने इस्तीफे में उन्होंने शिबू सोरेन को लेकर लिखा था कि पार्टी रास्ते से भटक चुकी है और ऐसा कभी सोचा था कि JMM से इस्तीफा देना पड़ेगा। सीएम पद से हटाए जाने के बाद जब चंपई सोरेन ने अपने सारे पत्ते खुलकर स्पष्ट किए थे, तब हेमंत सोरेन कैंप की तरफ से आए पहले रिएक्शन में कहा गया था कि यह हमारे लिए बड़ी खबर है, क्योंकि चंपई सोरेन अब एक्पोज हो चुके हैं। अगर वह निर्दलीय चुनाव लड़ते हैं तो हमारे लिए कठिनाई होती, क्योंकि वो जेएमएम के वोट शेयर में सेंध लगा सकते थे।

हालांकि राज्य के सियासी धड़ों की बात करें तो यहां चंपई सोरेन के बीजेपी में जाने पर मिलीजुली प्रतिक्रिया देखने को मिली थी। कुछ नेताओं का मानना था कि यह जेएमएम को नुकसान पहुंचाएगा क्योंकि चंपई सोरेन पूरी कोल्हान डिवीजन में अकेले प्रभावशाली नेता हैं। इस डिवीजन में तीन जिले – पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सरायकेला-खरसावां शामिल हैं। यहां कुल 14 विधानसभा सीटें हैं।

रांची में एक नेता ने कहा था कि मेरी राय में चंपई का अकेले चुनाव लड़ना ज़्यादा समझदारी भरा होता। इस तरह से उन्हें आदिवासियों के बीच ज़्यादा समर्थन मिलता, जो इस समय बीजेपी के पक्ष में नहीं हैं। हालांकि, हिमंत सरमा विधानसभा चुनावों में BJP के नैरेटिव को आगे बढ़ाने के लिए चंपई सोरेन का इस्तेमाल करेंगे, जो मौजूदा JMM गठबंधन द्वारा आदिवासी बहुल संथाल परगना क्षेत्र में कथित बांग्लादेशी घुसपैठियों के तुष्टिकरण के खिलाफ है।

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा द्वारा चंपई सोरेन के बीजेपी में शामिल होने की घोषणा के बाद यह बात पुष्ट हो गई थी। इसके बाद चंपई ने अपने सोशल मीडिया पोस्ट में बांग्लादेशी घुसपैठ की बात भी की थी। उन्होंने कहा था कि इस बारे में सिर्फ बीजेपी सीरियस दिखाई दे रही है औऱ अन्य दल वोटों की खातिर इसे इग्नोर कर रहे हैं। उन्होंने कहा था कि संथाल परगना में बांग्लादेशी घुसपैठ बहुत बड़ी समस्या बन चुका है। इस से दुर्भाग्यपूर्ण क्या हो सकता है कि जिन वीरों ने जल, जंगल व जमीन की लड़ाई में कभी विदेशी अंग्रेजों की गुलामी स्वीकार नहीं की, आज उनके वंशजों की जमीनों पर ये घुसपैठिए कब्जा कर रहे हैं। इनकी वजह से फूलो-झानो जैसी वीरांगनाओं को अपना आदर्श मानने वाली हमारी माताओं, बहनों व बेटियों की अस्मत खतरे में है।

बीजेपी में शामिल होने से पहले चंपई सोरेन ने कहा कि इस मुद्दे पर सिर्फ केंद्र की सत्ताधारी पार्टी ही गंभीर है और अन्य पार्टियां वोट के लिए अनदेखी कर रही हैं। उन्होंने कहा था कि इसलिए आदिवासियों की पहचान और अस्तित्व को बचाने के इस संघर्ष में मैंने माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र जी और गृह मंत्री श्री अमित शाह जी के नेतृत्व में आस्था जताते हुए भारतीय जनता पार्टी में शामिल होने का फैसला किया।