अतीक राशिद
कैग ने अपनी एक रिपोर्ट में खुलासा किया है कि सेंट्रल रेलवे, जिसमें पुणे डिविजन भी शामिल है, अपने राजस्व का 3.06 करोड़ रुपयावसूलने में नाकाम रही है। यह राजस्व प्राइवेट पार्टियों और टिकट बुकिंग क्लर्क से वसूला जाना था। शुक्रवार को संसद में पेश की गई अपनी वित्तिय वर्ष 2016-17 की एक रिपोर्ट में कैग ने बताया कि सेंट्रल रेलवे अपने 5 डिविजन में करीब 497 पार्टियों से ‘वे लीव’ चार्ज के बकाया करीब 6.55 करोड़ रुपए नहीं वसूल सका है। इन 5 डिविजनों में से पुणे डिविजन को सबसे ज्यादा 3.06 करोड़ रुपए का नुकसान उठाना पड़ा है।
बता दें कि वे लीव चार्ज, वो चार्ज होता है, जिसमें रेलवे अपनी जमीन के लिमिटेड इस्तेमाल जैसे किसी घर के लिए रास्ता देने या फिर किसी अंडर ग्राउंड पाइपलाइन को रास्ता देने आदि के एवज में कुछ राशि चार्ज करता है। पुणे डिविजन साल 2011 से लेकर वित्तीय वर्ष 2016-17 तक 63 पार्टीज से अपना 3.06 करोड़ का वे लीव चार्ज वसूलने में नाकाम रहा। पुणे डिवीजन की तरह ही मुंबई और भुसावल डिविजन भी क्रमशः 95.58 लाख और 82 लाख रुपए के अपने वे लीव चार्ज नहीं वसूल पायी हैं। इसी तरह नागपुर डिविजन 2.53 करोड़ रुपए के वे लीव चार्ज लेने में नाकाम रही है।
पुणे डिविजन के प्रवक्ता मनोज झावर का कहना है कि जब से कैग का ऑडिट हुआ है, उसके बाद से बकाया राशि का 25 प्रतिशत वसूल लिया गया है और बाकी बकाया वसूलने के लिए डिविजन विभिन्न पार्टियों के संपर्क में है। वे लीव चार्ज के अलावा इन डिविजनों में बुकिंग क्लर्कों ने भी किराए की जमा रकम को भी डिपोजिट नहीं कराया है और अथॉरिटी भी इस रकम को रिकवर करने में अभी तक नाकाम हैं। सेंट्रल रेलवे का इस तरह बुकिंग क्लर्कों पर मार्च 2017 तक 56.27 लाख रुपए बकाया है।
