केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग के राज्य मंत्री अश्विनी कुमार चौबे ने शनिवार (13 अक्टूबर, 2018) को न्यायपालिका को चेतावनी दी है। केंद्रीय मंत्री ने कहा है कि न्यायपालिका को व्यवस्थापिका के साथ संघर्ष की आग नहीं भड़कानी चाहिए। अश्विनी चौबे इसी महीने बक्सर की स्थानीय अदालत के द्वारा अपने खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज होने का आदेश दिए जाने पर बोल रहे थे।
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे पटना में साल 2018 की राष्ट्रीय स्वास्थ्य की विश्लेषणात्मक रिपोर्ट के जारी करने के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में बोल रहे थे। उन्होंने कहा,” अगर आप संघर्ष की इजाजत देते हैं, आपको याद रखना चाहिए कि जनप्रतिनिधि होने के नाते हम कानून बनाते हैं और आप उस कानून के संरक्षक हैं। किसी को भी इस कानून का मजाक उड़ाने की अनुमति मत दीजिए क्योंकि लोकतंत्र जीवित नहीं रह पाएगा अगर आप ऐसा होने देंगे।”
केंद्रीय मंत्री बक्सर की स्थानीय कोर्ट के दिए हुए उस आदेश से नाराज थे, जिसमें केंद्रीय मंत्री सहित दो अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिए गए थे। इस मामले में केंद्रीय मंत्री के साथ कांग्रेस विधायक संजय तिवारी और सिविल सर्जन डॉ. केके लाल को भी आरोपी बनाया गया है। कोर्ट ने ये आदेश एक महिला की निजी शिकायत के आधार पर दिया था। केंद्रीय मंत्री अश्विनी चौबे ने यहां तक कहा कि वह इस मामले में जमानत नहीं लेंगे क्योंकि उन्हें इसकी जरूरत नहीं है।
असल में, बक्सर की रहने वाली महिला किरन जायसवाल ने केंद्रीय मंत्री के खिलाफ शिकायत दर्ज करवाई थी। 15 सितंबर को केंद्रीय मंत्री ने बक्सर में स्वास्थ्य केंद्र का उद्घाटन किया था। लेकिन जब महिला 16 सितंबर को स्वास्थ्य केंद्र में गई तो वह कथित तौर पर बंद मिला। महिला का आरोप है कि केंद्रीय मंत्री ने अपने उद्घाटन भाषण में कहा था कि ये अस्पताल 24 घंटे और सातों दिन खुला रहेगा। लेकिन महिला का दावा है कि जब अगले दिन वह सुबह 11 बजे अस्पताल गई तो अस्पताल कथित तौर पर बंद था। इसी आधार पर महिला ने मंत्री के खिलाफ मिथ्या भाषण का आरोप लगाकर शिकायत दर्ज करवाई है। पुलिस ने ये शिकायत 5 अक्टूबर को दर्ज की है।
शनिवार (13 अक्टूबर, 2018) को पटना में, केंद्रीय मंत्री चौबे ने हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीशों से अपील की कि वे ऐसे कृत्यों से बचें। उन्होंने यह भी कहा कि वे अपनी सूझबूझ के इस्तेमाल से सिस्टम को सुधारने में अपना योगदान दें। लेकिन उन्हें जरूर दंडित करें जो व्यवस्था का दुरुपयोग करने की कोशिश कर रहे हैं। चौबे ने कहा कि ये भारत में पहली बार हुआ है कि किसी केंद्रीय मंत्री के खिलाफ प्रधानमंत्री की आयुष्मान भारत योजना के तहत अस्पताल का उद्घाटन करने पर एफआईआर दर्ज की गई हो। उन्होंने कहा कि ये मामला प्रधानमंत्री तक पहुंच गया है।
उन्होंने दर्शकों से पूछा,”अगर जिले में कोई हत्या हो जाती है तो क्या आप उसके लिए जिले के एसपी और डीएम के खिलाफ रिपोर्ट लिखवाएंगे?” उन्होंने आश्चर्य जताते हुए पूछा,”मुझे बताइए कि अगर कोई वेलनेस सेंटर खुलने के एक दिन बाद बंद हो जाता है तो केंद्रीय मंत्री इसका जिम्मेदार कैसे हो जाता है? कैसे एक जनप्रतिनिधि प्रशासनिक अधिकारियों की गलती के लिए दोषी हो जाता है?