केरल के मशहूर सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के मसले पर जारी विवाद के बीच केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा,” हालांकि सभी को पूजा करने का अधिकार तो है लेकिन किसी को भी अपमानित करने का अधिकार नहीं है। केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी मंगलवार (23 अक्टूबर) को ब्रिटिश डिप्टी हाई कमिशन और आॅब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन के द्वारा आयोजित ”यंग थिंकर्स” कार्यक्रम को संबो​धित कर रहीं थीं।

उन्होंने कहा,”ये सामान्य तौर पर सोचने की बात है। क्या आप माहवारी के रक्त में भीगा हुआ सेनेटेरी पैड लेकर अपने दोस्त के घर जाएंगे। आप नहीं जाएंगे। और क्या आप सोचते हैं कि क्या आप सोचते हैं कि वह चीज ठीक हो जाती है जब आप भगवान के घर में जा रहे हों? वैसे ये मेरी निजी धारणा है।” उन्होंने यह भी कहा कि केंद्र में कैबिनेट मंत्री होने के कारण वह सबरीमाला मंदिर के परिसर में सभी उम्र की महिलाओं को प्रवेश देने के मामले में खुले तौर पर टिप्पणी नहीं कर सकती हैं।

कार्यक्रम में एक प्रतिभागी ने केंद्रीय मंत्री से मंदिर के बेसकैंप में हो रहे भारी प्रदर्शन पर भी सवाल पूछा। स्मृति ईरानी ने जवाब में अपने ही परिवार का उदाहरण देते हुए कहा,” मैं एक हिंदू हूं और मैंने पारसी से शादी की है। मैंने ये सुनिश्चित करने की कोशिश की है कि मेरे दोनों बच्चे पारसी धर्म का पालन करें। मेरे दोनों बच्चे हर साल अपना नवजोत पर्व मनाते हैं। जब मैं अपने नवजात बच्चे को लेकर मुंबई के अंधेरी में स्थित पारसी मंदिर में गई तो मंदिर के गेट पर ही मैंने अपने बच्चे को अपने पति को सौंप दिया। वहां पर मुझसे कहा गया कि ‘यहां मत खड़े रहो।”’ ईरानी ने यह भी कहा कि मुझे अपने पति के साथ पारसी मंदिर के भीतर जाने की अनुमति नहीं मिलती है। या तो मैं बाहर सड़क पर खड़ी रहती हूं या फिर कार में बैठकर इंतजार करती हूं।

वैसे बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा सबरीमाला मंदिर के परिसर में सभी उम्र की महिलाओं के द्वारा प्रवेश से पाबंदी हटाने के बाद मंदिर के पट पहली बार 17 अक्टूबर को खुले थे। जबकि 22 अक्टूबर को मंदिर के पट भारी प्रदर्शन के बाद बंद कर दिए गए थे।

भारी प्रदर्शन के कारण प्रतिबंधित आयु वर्ग की कोई भी महिला मंदिर में प्रवेश नहीं कर सकी थी। 10 से 50 वर्ष की आयु वर्ग वाली एक दर्जन से ज्यादा महिलाओं को प्रदर्शनकारियों ने उस वक्त रोक दिया था, जब वह मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश कर रहीं थीं।