केंद्र की मोदी सरकार जल्दी ही बड़ा फैसला कर सकती है। बुधवार को हुई कैबिनेट की बैठक में कुछ अहम विषयों पर चर्चा हुई। इसमें केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में आरक्षण बढ़ाने को लेकर बात हुई। जम्मू-कश्मीर आरक्षण अधिनियम में संशोधन के जरिए केंद्र सरकार लद्दाख की सरकारी नौकरियों में अनुसूचित जनजातियों (ST) के लिए आरक्षण बढ़ाकर 85 फीसदी करने की बात हुई है।
लद्दाख में अनुसूचित जनजाति की आबादी करीब 80 फीसदी है। ऐसे में उनकी संख्या के हिसाब से सरकारी सेवा क्षेत्र में 85 फीसदी आरक्षण करने की चर्चा हो रही है। टाइम्स ऑफ इंडिया की खबर के अनुसार आरक्षण के अलावा केंद्र सरकार और भी कई प्रस्ताव ला सकती है।
उर्दू और भोटी को आधिकारिक भाषा के रूप में किया जा सकता है शामिल
केंद्र सरकार के आगामी प्रोजेक्ट्स में हिल डेवलपमेंट काउंसिल में महिलाओं के 33 प्रतिशत आरक्षण, नौकरियों और शैक्षणिक संस्थानों में लद्दाख के एलएसी के पास रहने वाले नागरिकों के लिए कोटा पर भी चर्चा हुई। इसके अलावा उर्दू और भोटी को लेह की आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल करने का भी प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
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पिछले साल गृह मंत्रालय द्वारा गठित एक हाई लेवल कमेटी की बैठक में लद्दाख के कई मुद्दों को लेकर चर्चा हुई थी। ये मीटिंग दिसंबर 2024 में हुई थी जिसमें मुख्य रूप से क्षेत्रीय प्रतिनिधियों द्वारा सरकारी नौकरियों में लद्दाख के स्थाई निवासी को 95 फीसदी आरक्षण, पहाड़ी परिषदों में महिलाओं के लिए 33 फीसदी आरक्षण के साथ-साथ उर्दू और भोटी को लद्दाख की आधिकारिक भाषा के रूप में शामिल करने को लेकर सहमति जताई गई थी। वहीं लद्दाख के लोगों ने गृह मंत्रालय से अलग लोक सेवा आयोग बनाने की भी मांग की थी। जिसको लेकर सरकार विचार कर रही है।
आपकी जानकारी के लिए बता दें कि साल 2019 में केंद्र सरकार ने संसद में बिल पेश करके जम्मू कश्मीर राज्य से अलग करके लद्दाख को अलग केंद्र शासित राज्य बना दिया था। इसके साथ ही जम्मू-कश्मीर में धारा 370 फिर समाप्त हो गई। लद्दाख में मुख्य रूप से बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग रहते हैं। जहां पर लोकसभा की एक सीट है। जबकि लद्दाख में विधानसभा नहीं है।