देश के कई राज्यों में सांप्रदायिक दंगा होने और हिंसा फैलने पर टीवी चैनल में राजनीतिक दलों के प्रवक्ताओं ने सत्ता और विपक्ष के नेताओं पर सवाल उठा रहे हैं। न्यूज-24 पर एंकर संदीप चौधरी ने कांग्रेस के प्रवक्ता आलोक शर्मा से पूछा कि करौली में भाजपाइयों को जाने से रोका जा रहा है, जबकि लखीमपुर खीरी वाले केस में प्रियंका गांधी को जाने से रोका गया तो आप हल्ला-गुल्ला करने लगते हैं। यह सब क्यों है?

इस पर कांग्रेस प्रवक्ता आलोक शर्मा ने कहा, “दोनों केस में बिल्कुल अलग परिस्थितियां हैं। एक तरफ टेनी के बेटा गाड़ी से कुचल रहा, और सुप्रीम कोर्ट लताड़ लगा रहा है, हाईकोर्ट लताड़ लगा रहा है, वहां पर जाना है और एक तरफ जहां मामला पूरी तरह से अशांत है और संवेदनशील है धार्मिक आधार पर, वहां पर बीजेपी के लोग घी डालना चाहे तो मुझे लगता है कि प्रशासन के लोगों ने ठीक किया है।”

हाथरस के बारे में पूछने पर बोले- वहां क्या हुआ, “सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट ने किस तरह से लताड़ लगाई सरकार को, किस तरह से रात दो बजे प्रशासन ने पीड़ित लड़के के शव को जला दिया। यह सब करौली में नहीं है। फिर भी अगर बीजेपी के लोग वहां जाना चाहते हैं और आग भड़काना चाहते हैं, यह सब उनकी पुरानी आदत है।”

उन्होंने कहा कि क्या यह हिंदू-मुस्लिम वाला डिवाइड रूल है यह विकराल रूप लेगा या समाप्त होगा। मुझे लगता है कि “जब देश का प्रधानमंत्री लोगों को कपड़ों से पहचानें और गोली मारो और दूसरा शब्द बोलने वालों को केंद्र में मंत्री बनाया जाए, जिस तरह से आज पिक एंड चूज करके प्रशासन से लेकर न्यायपालिका तक कठघरे में खड़े हों, जिस तरह से न्यायपालिका की तमाम फटकार के बाद प्रशासन राजनीतिक संरक्षण देकर अपना काम करे, बापू को हरामी कहने वाले का भव्य स्वागत हो, और देश के प्रधानमंत्री और गृहमंत्री अपनी मौन स्वीकृति दें तो मुझे लगता है कि हिंदू-मुस्लिम डिवाइड रूल का सवाल है वह और विकराल रूप लेगा।”

एंकर संदीप चौधरी ने पूछा कि सिख विरोधी दंगों में जो तीन बड़े नाम थे- एचकेएल भगत, जगदीश टाइटलर और सज्जन कुमार, उनको हर बड़े चुनाव में उम्मीदवार बनाया गया। इस पर आलोक शर्मा ने कहा कि हमने हमेशा दोषियों पर कार्रवाई की है।