टेलीकॉम कंपनियों से देश के विभिन्न राज्यों में मोबाइल यूजर्स के कॉल डेटा रिकॉर्ड (सीडीआर) मांगने पर बुधवार (18 मार्च, 2020) को लोकसभा में केंद्र सरकार विपक्ष के निशाने पर आ गई। सदन में कार्यवाही के दौरान विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे ‘बड़ी चिंता का विषय’ का बताते हुए मामले में चर्चा की मांग की। कांग्रेस ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी सरकार ने मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से देश के नागरिकों के कॉल रिकॉर्ड मांगे हैं जो सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन और निजता के अधिकार पर हमला है।
इस मामले में इंडियन एक्सप्रेस ने बुधवार को एक रिपोर्ट भी की थी, जिसमें बताया गया कि सरकार की इस मांग पर टेलीकॉम कंपनियों ने सकारात्मक जवाब नहीं दिया था। आप हिंदी में पूरी स्टोरी यहां क्लिक कर पढ़ सकते हैं। बता दें कि सरकार द्वारा यह असामान्य अनुरोध दूरसंचार विभाग (DoT) की स्थानीय इकाइयों के माध्यम से दूरसंचार ऑपरेटरों को भेजा गया था। इसमें कुछ विशेष महीनों में कुछ दिनों का मोबाइल यूजर्स का सीडीआर मांग गया था।
मामले में एक आधिकारिक बयान देते हुए दूरसंचार मंत्रालय ने कहा, ‘किसी भी व्यक्ति की गोपनीयता का उल्लंघन नहीं हुआ है। ना ही किसी का निजी डेटा लिया गया है, और ना ही किसी का फोन टैप किया जा रहा है।’ सरकार ने जवाब देते हुए कहा, ‘दूरसंचार नेटवर्क की सेवा गुणवत्ता, कॉल ड्रॉप्स, गूंज, क्रॉस कनेक्शन, अपूर्ण या खराब कॉलर अनुभव के बारे में कई शिकायतों का पता लगाने के लिए कॉल डेटा मांगा गया था।’
बुधवार को मामले में चर्चा के लिए स्थगन प्रस्ताव का नोटिस लोकसभा महासचिव को देते हुए कांग्रेस के सांसद मनिकम बी टैगोर ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन करते हुए केंद्र सरकार देश में मोबाइल यूजर्स के सीडीआर मांग रहीं है, जो कि बहुत बड़ी चिंता विषय है।’ हालांकि उनके इस नोटिस पर चर्चा के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने अनुमति नहीं दी, मगर कांग्रेस सदस्यों ने सदन में इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की।
सुबह 11 बजे लोकसभा सदस्य जैसे ही कार्यवाही के लिए सदन में इकट्टा हुए, कांग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने इस मुद्दे को सदन में उठाने की कोशिश की। उन्होंने कहा, ‘स्पीकर सर… यह सुप्रीम कोर्ट की अवमानना है।’ हालांकि लोकसभा अध्यक्ष ने उन्हें इस मुद्दे पर बोलने की अनुमति नहीं दी। प्रश्नकाल के दौरान भी उन्होंने इस मुद्दे को उठाने की कोशिश की।
लोकसभा में दूरसंचार मंत्री रविशंकर प्रसाद जब बीएसएनएल में स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना पर आरएसपी सांसद एन के प्रेमचंद्रन द्वारा पूछे गए सवाल का जवाब दे रहे थे, तब मनीष तिवारी एक बार फिर खड़े हुए और प्रसाद से पूछा, ‘टेलीफोन की व्यापक निगरानी क्यों हो रही है? ऐसा क्यों हो रहा है? आप सुप्रीम कोर्ट के फैसले का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? आप निजता के अधिकार का उल्लंघन क्यों कर रहे हैं? कृपया इसका जवाब दीजिए।’ दूरसंचार मंत्री ने उनके इन सवालों का कोई जवाब नहीं दिया।
इसके बाद मनीष तिवारी ने संसद परिसर में संवादाताओं से कहा कि सुप्री कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा था कि निजता का अधिकार मौलिक अधिकार है। यह सरकार उस फैसले का लगातार उल्लंघन कर रही है।’
तिवारी ने मीडिया में आई कुछ खबरों का हवाला देते हुए कहा, ‘आज जो खबरें सामने आई हैं उनसे यह साफ होता है कि एक षड़यंत्र को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया जा रहा है। सरकार ने सारे नागरिकों के कुछ चुनिंदा दिनों के कॉल रिकॉर्ड मोबाइल सेवा प्रदाता कंपनियों से मांगे हैं।’
उन्होंने सवाल किया कि हम सरकार से यह पूछना चाहते हैं कि इसका औचित्य क्या है? कांग्रेस ने दावा किया, ‘2013 में यूपीए सरकार ने संबंधित कानून को चुस्त-दुरुस्त किया था। भाजपा सरकार सारे नियमों का उल्लंघन करते हुए नागरिकों के अधिकारों पर हमले कर रही है।’