हमारे सहयोगी अख़बार द इंडियन एक्सप्रेस को पता चला है कि सीबीएसई की कक्षा 10 और 12वीं के टर्म 1 परीक्षाओं में विवादास्पद प्रश्न पूछने को लेकर जिम्मेदार ठहराए जाने के बाद दो एक्सपर्ट्स को बोर्ड द्वारा गठित पेपर-सेटिंग पैनल से हटा दिया गया है। बोर्ड ने अपनी पेपर-सेटिंग प्रक्रिया की समीक्षा के लिए पूर्व परीक्षा नियंत्रक पवनेश कुमार की अध्यक्षता में एक समिति भी गठित की है।

नवंबर-दिसंबर 2020 में आयोजित टर्म 1 बोर्ड परीक्षाओं में दो बड़े विवाद देखे गए थे। पहला विवाद 12वीं की समाजशास्त्र परीक्षा में पूछे गए एक बहुविकल्पीय प्रश्न से जुड़ा था। जिसमें पूछा गया था कि 2002 में गुजरात में हुई मुस्लिम विरोधी हिंसा किस सरकार में हुई थी? इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए चार विकल्प दिए गए थे। जिसमें कांग्रेस, बीजेपी, डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन शामिल थे।

दूसरा प्रश्न जिस पर विवाद हुआ था वो 10वीं के अंग्रेजी विषय वाली परीक्षा में पूछे गए थे। प्रश्न पत्रों के एक सेट में एक गद्य पूछे गए थे जिसमें गद्य को पढ़कर उत्तर देने वाले सवाल थे। इसमें महिला विरोधी बातें लिखी हुई थीं। प्रश्न पत्र में पितृसत्ता और पत्नी के अधिकारों के बीच के अंतर की बात कही गई थी।  

गद्य के अंतिम पैराग्राफ में लिखा गया था कि लोग यह ठीक से नहीं देख रहे थे कि पत्नी की इच्छाओं और अधिकार ने बच्चों पर माता-पिता के अधिकार को खत्म कर दिया है। मां ने उस आज्ञाकारिता का उदाहरण नहीं दिया जिस पर वह अभी भी जोर देने की कोशिश कर रही थी। पुरुष को अपने से कम करने को लेकर पत्नी और मां ने खुद को अनुशासन के मामले में कम कर दिया।

समाजशास्त्र परीक्षा के बाद सीबीएसई ने ट्विटर पर एक बयान जारी किया था जिसमें कहा गया था कि प्रश्न पत्र तैयार करने को लेकर बनाए गए दिशा निर्देशों का इस प्रश्न में उल्लंघन किया गया है और इसके लिए जिम्मेदार व्यक्तियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। अंग्रेजी परीक्षा में पूछे गए प्रश्न को लेकर हुए विवाद के बाद भी बोर्ड ने इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताते हुए एक बयान जारी किया था।

प्रत्येक विषय के लिए प्रश्न पत्र सेट करने के लिए बोर्ड दो पैनल गठित करता है। जिसमें एक पेपर तैयार करते हैं और दूसरा मॉडरेटर करता है। इस मामले को लेकर सीबीएसई के एक अधिकारी ने कहा कि हम उनकी विशेषज्ञता और अनुभव के कारण दो पेपर सेटर्स की सेवाओं को शामिल कर रहे थे। लेकिन अब यह निर्णय लिया गया कि हम उनकी सेवाओं का उपयोग नहीं करेंगे। वे अपने काम में निपुण हैं और अपने संस्थानों में बने रहेंगे। प्रश्न गलत नहीं थे, लेकिन वे अनुशासन के अनुरूप नहीं थे।

गुजरात दंगों पर सवाल एनसीईआरटी की कक्षा 12 की समाजशास्त्र की पाठ्यपुस्तक इंडियन सोसाइटी के एक पैराग्राफ से लिया गया था। लोकसभा सहित कई जगहों पर इस सवाल को लेकर हुए विवाद के बाद बोर्ड ने एक बयान दिया था कि वह इसकी समीक्षा करने और प्रश्न पत्र सेटिंग प्रक्रिया को मजबूत करने के लिए एक विशेषज्ञ समिति का गठन करेगा ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं से बचा जा सके।