केंद्र में नई सरकार के गठन के बाद अब बसपा प्रमुख मायावती की मुश्किलें बढ़ सकती है। बसपा प्रमुख सीबीआई के फंदे में फंस सकती है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने मायावती के शासनकाल में 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में कथित अनियमतता के मामले में तीन मामलों की नियमित रूप से सुनवाई कर सकती है। अभी तक इन मामलों की प्रारंभिक जांच चल रही थी।

साल 2011-12 के दौरान हुई इन सरकारी चीनों की बिक्री से सरकारी खजाने को कथित रूप से 1179 करोड़ रुपये के नुकसान होने की बात कही गई थी। डेक्कन क्रोनिकल की खबर के अनुसार सूत्रों का कहना है कि जांच के दौरान मिले सबूतों के आधार पर सीबीआई इन तीन प्रारंभिक जांच को नियमित केस के रूप में बदल सकती है।

सीबीआई इस मामले की जांच के तहत यूपी सरकार के कम से कम दो पूर्व वरिष्ठ नौकरशाहों से स्पष्टीकरण मांग सकती है। इसमें बताया गया कि साल 2011-12 के दौरान मायावती के शासन काल के दौरान हुई इन सरकारी चीनी मिलों की बिक्री से सरकारी खजाने को कथित रूप से 1179 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। एजेंसी ने इस मामले में कथित अनियमतता के मामले में एक एफआईआर और छह प्रारंभिक जांच रजिस्टर्ड की थी।

हालांकि, बसपा सुप्रीमो मायावती ने इन आरोपों से इनकार करते हुए केंद्र पर चुनाव के दौरान सीबीआई के दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। उन्होंने कहा था कि उनके शासन काल के दौरान हुई इन 21 चीनी मिलों की बिक्री को राजनीतिक रंग दिया जा रहा है। इससे पहले पिछले साल 12 अप्रैल को उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार ने इस मामले में सीबीआई जांच की अनुशंसा की थी।

एजेंसी ने अपनी पहली एफआईआर में यूपी सरकार के किसी भी अधिकारी या किसी राजनेता का नाम शामिल नहीं किया है। उन्होंने कहा था कि यूपी स्टेट शुगर कॉर्पोरेशन लिमिटेड मिल्स की खरीद के दौरान फर्जी दस्तावेज दाखिल करने वाले 7 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया था।

राज्य सरकार ने 21 शुगर मिलों की बिक्री के इस मामले में सीबीआई जांच की मांग की थी। इसके अलावा देवरिया, बरेली, लक्ष्मी गंज, हरदोई, राकोला, चिट्टौनी और बाराबंकी में बंद पड़ी चीनी मिलों की खरीद में धांधली और धोखाधड़ी की बात कही थी। लखनऊ पुलिस मामले की जांच कर रही है। इसमें आरोप है कि मायावती सरकार ने 21 चीनों मिलों की बिक्री बाजार मूल्य से कम दाम पर की थी। इनमें से 10 मिलें चालू थी। इससे 1179 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ था।