सीबीआई ने पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे और कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया है। एजेंसी ने एक बयान में कहा कि कार्ति पर शराब कंपनी डियाजियो और वेंचर कैपिटल फंड सिकोइया कैपिटल से संदिग्ध फंड ट्रांसफर लेने का आरोप है। सीबीआई इंस्पेक्टर रवि राज खटीक ने शिकायत मिलने के बाद 1 जनवरी को कार्ति और उनके सहयोगी एस भास्कररमन द्वारा नियंत्रित इकाई एडवांटेज स्ट्रैटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड (ASCPL) के अलावा डियाजियो स्कॉटलैंड, सिकोइया कैपिटल मॉरीशस और वासन हेल्थकेयर प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया।

जानें किसके खिलाफ दर्ज हुआ मामला

हालांकि इस पर अभी तक कार्ति चिदंबरम ने कोई बयान नहीं दिया। रवि खटीक ने शिकायत में आरोप लगाया, “29 मई 2018 को मेसर्स कटरा होल्डिंग्स लिमिटेड, मॉरीशस, मेसर्स एडवांटेज स्ट्रेटेजिक कंसल्टिंग प्राइवेट लिमिटेड, कार्ति पी चिदंबरम, रवि विश्वनाथन, पद्मा विश्वनाथन, एस भास्कररमन, विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (FIPB) के अज्ञात लोक सेवकों और अज्ञात अन्य के खिलाफ एफआईपीबी की प्रक्रिया और मंजूरी की जांच के लिए एक प्रारंभिक जांच दर्ज की गई थी।”

यह शिकायत एफआईआर का हिस्सा है। एफआईआर में कहा गया है कि डियाजियो और सिकोइया कैपिटल को संदिग्ध रूप से एएसपीसीएल को फंड ट्रांसफर करते हुए पाया गया। जांच में पता चला कि मेसर्स डियाजियो स्कॉटलैंड, यूके ड्यूटी फ्री जॉनी वॉकर व्हिस्की का आयात करता था और भारत पर्यटन विकास निगम (ITDC) (भारत में इंपोर्ट ड्यूटी फ्री शराब की बिक्री पर एकाधिकार था) ने 2005 में भारत में डियाजियो समूह के ड्यूटी फ्री उत्पादों की बिक्री पर प्रतिबंध लगा दिया था। इसके कारण मेसर्स डियाजियो स्कॉटलैंड को भारी नुकसान हुआ क्योंकि भारत में इसका 70% कारोबार जॉनी वॉकर व्हिस्की की बिक्री से संबंधित था।

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15,000 डॉलर की रिश्वत का आरोप

शिकायत में आरोप लगाया गया है कि प्रतिबंध हटाने के लिए, डियाजियो स्कॉटलैंड ने कार्ति से संपर्क किया और उन्हें एएससीपीएल के माध्यम से 15,000 डॉलर का भुगतान किया। यह किसी परामर्श कार्य के लिए नहीं बल्कि ड्यूटी फ्री शराब की बिक्री के लिए मेसर्स डियाजियो स्कॉटलैंड पर लगाए गए प्रतिबंध को हटाने के लिए लोक सेवकों को प्रभावित करने के लिए था। एफआईआर के अनुसार, मॉरीशस की सिकोइया कैपिटल ने प्लेटिनम पावर वेल्थ एडवाइजर प्राइवेट लिमिटेड की शेयर पूंजी में 26 फीसदी तक निवेश करने के लिए 13 अक्टूबर 2008 को एफआईपीबी की मंजूरी के लिए आवेदन किया था।

एजेंसी ने कहा कि 9.52 करोड़ रुपये के एफडीआई फ्लो के लिए एफआईपीबी की मंजूरी को 2008 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने मंजूरी दी थी।जांच में यह भी पता चला कि जिस समय सिकोइया कैपिटल के एफआईपीबी प्रस्ताव को एफडीआई के लिए आगे बढ़ाया गया था, उसी समय वासन हेल्थ केयर प्राइवेट लिमिटेड के माध्यम से सिकोइया कैपिटल और एएससीपीएल के बीच अत्यधिक कीमत पर कुछ संदिग्ध शेयर लेनदेन हुए थे। मेसर्स वासन समूह के शेयरों को सीधे खरीदने के बजाय, कार्ति को लाभ पहुंचाने के लिए शेयरों को एएससीपीएल के माध्यम से भेजा गया और इन शेयरों के बदले में सिकोया द्वारा मेसर्स एएससीपीएल को कुल 22.50 करोड़ रुपये (7,500 रुपये प्रति शेयर) का भुगतान किया गया। जबकि इसका खरीद मूल्य 30 लाख रुपये था।