केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) विवाद पर शुक्रवार (16 नवंबर) को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में किसी प्रकार का भी आदेश देने से इन्कार कर दिया। कोर्ट ने कहा कि वह सीवीसी की जांच रिपोर्ट बंद लिफाफे में वर्मा को सौंपेगी। वह उसका जवाब दे सकते हैं। कोर्ट उसके बाद ही आगे अपना फैसला लेगा। कोर्ट ने इसके अलावा सीबीआई में दूसरे नंबर अधिकारी राकेश अस्थाना (फोर्स लीव पर) को सीवीसी की जांच रिपोर्ट सौंपने से मना कर दिया है।
कोर्ट को इस दौरान तय करना था कि नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा जबरन छुट्टी (फोर्स लीव) पर भेजे गए सीबीआई डायरेक्टर आलोक वर्मा छुट्टी पर बने रहेंगे या उन्हें वापस दफ्तर लौटने को कहा जाए। आदेश न देने के कारण शुक्रवार को इसके बाद सुनवाई टल गई। कोर्ट अब इस मसले पर मंगलवार (20 नवंबर) को अगली सुनवाई करेगा। बता दें कि वर्मा ने केंद्र के फैसले (छुट्टी पर भेजने के) को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।
वहीं, सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि सीवीसी ने वर्मा को अपनी रिपोर्ट में फिलहाल क्लीन चिट नहीं दी है। उसका कहना है कि इस मामले में आगे जांच की जरूरत है, जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के वरिष्ठ नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने वर्मा को ईमानदार बताया है। उन्होंने एएनआई से बातचीत में कहा, “मैं उन्हें तब से जानता हूं, जब वह दिल्ली के पुलिस कमिश्नर थे। मैंने उन्हें सीबीआई में एयरसेल-मैक्सिस केस व अन्य मामलों पर काम करते हुए देखा है। मैं उन्हें ईमानदार आदमी मानता हूं। उन्हें साथ बहुत अन्याय हुआ है। इस चीज ने भ्रष्टाचार के खिलाफ हमारे अभियान को ठेस पहुंचाई है। पर मुझे उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट उनके साथ न्याय करेगा।”
कोर्ट ने इससे पहले 12 नवंबर को इस मसले पर सुनवाई की थी, तब केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के चार अधिकारी भी कोर्ट परिसर में मौजूद थे। उन्होंने रिश्वतखोरी के आरोपों से जुड़ी रिपोर्ट बंद लिफाफे में कोर्ट में सौंपी थी। उन्होंने इसके अलावा सीबीआई के अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव के फैसलों से संबंधित रिपोर्ट भी कोर्ट में जमा की थी। आपको बता दें कि देश की सबसे बड़ी जांच एजेंसी के इन दोनों शीर्ष अधिकारियों ने एक-दूसरे पर घूसखोरी के आरोप लगाए हैं।