सीबीआइ ने गैंगस्टर छोटा राजन के फर्जी ब्योरा देकर पासपोर्ट हासिल करने के लिए कथित भ्रष्ट तरीके अपनाने को लेकर उसके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी का विवरण देने से इनकार कर दिया है और कहा है कि इसे सूचना के अधिकार कानून में छूट प्राप्त है। वैसे यह पारदर्शिता कानून साफ करता है कि छूट प्राप्त संगठन भी तब आरटीआइ कानून के तहत आते हैं अगर मांगी गई सूचना (जो अधिकारी के पास किसी सामग्री के रूप में हो या उसके नियंत्रण में हो) का संबंध भ्रष्टाचार के आरोपों से हो। यह इस बात में कोई फर्क नहीं करता कि आरोप किसी प्राधिकारी या उसके कर्मचारी के खिलाफ हैं या नहीं। इस कानून के अनुसार केवल यह देखा जाना होता है कि उस प्राधिकारी के नियंत्रण में सूचना है या नहीं।

लेकिन सीबीआइ छूट संगठनों की सूची में शामिल किए जाने के बाद किसी तरह की सूचना, यदि भ्रष्टाचार से जुड़ा हो तो भी, से इनकार करने के लिए आरटीआइ कानून की धारा 24 का हवाला दे रही है। आरटीआइ आवेदक वेंकटेश नायक ने कहा कि जब वह राजन के खिलाफ प्राथमिकी, जिसमें भ्रष्टाचार से संंबंधित आरोप है, का ब्योरा मांगते हुए सीबीआइ के पास गए तब एजंसी ने 49 दिनों बाद आवेदन को खारिज करने के लिए इस कानून की धारा 24 का हवाला दिया कि आरटीआइ कानून सीबीआइ पर लागू नहीं होता।

नायक का कहना है कि धारा 24 साफ करती है कि छूट प्राप्त संगठन भी भ्रष्टाचार के आरोप के बारे में सूचना प्रदान करे। उन्होंने कहा- आरटीआइ आवेदन से जुड़ी मीडिया रिपोर्ट के अनुसार बताया जाता है कि प्राथमिकी भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत दर्ज की गई। साफ है कि भ्रष्टाचार रोकथाम अधिनियम के तहत प्राथमिकी स्वत: ही दर्ज नहीं की जाती यदि सीबीआइ सिडनी में भारतीय मिशन के अधिकारियों की ओर से कथित फर्जी पासपोर्ट जारी करने के भ्रष्टाचार के मामले की जांच नहीं कर रही होती। सीबीआइ की अपनी स्वीकारोक्ति से इसमें भ्रष्टाचार का आरोप है।

अंडरवर्ल्ड डॉन राजन को दिल्ली और मुंबई में हत्या, जबरन वसूली और मादक पदार्थ की तस्करी के 70 से अधिक मामलों में अदालती सुनवाई से गुजारने के लिए पिछले साल नवंबर में सीबीआइ अधिकारियों की अगुआई में एक संयुक्त टीम इंडोनेशिया के बाली शहर से लाई थी। 55 साल के इस गैंगस्टर को 25 अक्तूबर, 2015 में बाली में गिरफ्तारी के बाद स्वदेश लाया गया था। वह 27 सालों तक फरार रहा था। उसका पूरा नाम राजेंद्र सदाशिव निकालजे है। उसके भारत पहुंचने से पहले ही महाराष्ट्र सरकार ने एक आकस्मिक घोषणा की कि वह इस अंडरवर्ल्ड से जुड़े सारे मामले सीबीआइ को सौंप रही है क्योंकि एजंसी को ऐसे मामलों से निबटने में निपुणता है।