Jawaharlal Nehru University: केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) ने जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पर्यावरण विज्ञान संकाय के पूर्व प्रोफेसर ए एल रामनाथन और पांच अन्य के खिलाफ कथित वित्तीय हेराफेरी का मामला फिर से दर्ज किया है। उपराज्यपाल वी के सक्सेना द्वारा मामले को सीबीआई को हस्तांतरित करने की मंजूरी मिलने के बाद केंद्रीय एजेंसी ने दिल्ली पुलिस से जांच अपने हाथ में ले ली।
प्राथमिकी (FIR) में कहा गया है कि विश्वविद्यालय ने 15 फरवरी, 2022 को वसंत कुंज उत्तर पुलिस स्टेशन में रामनाथन, अनुभाग अधिकारी स्नेह राजोरा असीवाल, उर्मिल पुन्हानी, परियोजना सहायक के. मुरली और कंप्यूटर ऑपरेटर नज़ीर हुसैन और रितेश कुमार द्वारा 88 लाख रुपये से अधिक की कथित वित्तीय हेराफेरी के बारे में एक प्राथमिकी दर्ज कराई थी।
यह भी पढ़ें- डीयू में सत्र शुरू होने के एक महीने बाद भी 9 हजार से अधिक सीटें खाली
एफआईआर में कहा गया है कि कथित अनियमितताओं को 2021 में विश्वविद्यालय की वित्त शाखा द्वारा वार्षिक बैलेंस शीट तैयार करने के दौरान चिह्नित किया गया था, जिससे यह मुद्दा कुलपति के ध्यान में आया। कुलपति ने मामले को जेएनयू की वित्त समिति को भेजा, जिसने एक तथ्य-खोजी समिति को इस मुद्दे की जाँच करने और एक रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए अधिकृत किया।
एफआईआर में आरोप लगाया गया है कि विश्वविद्यालय की तथ्य-खोजी समिति (Fact-Finding Committee) ने अपनी जांच में विश्वविद्यालय में प्रो. ए.एल. रामनाथन की परियोजना में 88,10,712 रुपये की वित्तीय हेराफेरी का पता लगाया है। समिति ने पाया है कि नियमित और संविदा कर्मचारी, साथ ही आउटसोर्सिंग कर्मचारी, प्रथम दृष्टया वित्तीय हेराफेरी में शामिल थे। रामनाथन को 2021 में निलंबित कर दिया गया था और हाल ही में उन्हें जेएनयू की सेवाओं से बर्खास्त कर दिया गया था।
यह भी पढ़ें- सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व सीबीआई अधिकारी के खिलाफ FIR बरकरार रखी