संसद में शहरी विकास मंत्रालय की समिति ने केंद्र सरकार को यह सिफारिश की है। समिति ने संसद के शीतकालीन सत्र में यह रिपोर्ट पेश की है। समिति की यह भी सिफारिश की है कि मेट्रो रेल नेटवर्क के लिए कार्बन क्रेडिट के लिए पंजीकरण कराना अनिवार्य किया जाए। समिति की सिफारिश के बाद आवासन और शहरी कार्य मंत्रालय ने सभी मेट्रो रेल निगम को पंजीकरण के लाभ का पता लगाने दिशा निर्देश जारी किए हैं।
समिति की रिपोर्ट बताती है कि दिल्ली मेट्रो और जीएस परियोजनाओें से अब तक 4.4 मिलियन कार्बन क्रेडिट अर्जित किए गए हैं। इसके अतिरिक्त लखनऊ मेट्रो ने कार्बन क्रेडिट के लिए पंजीकरण की प्रक्रिया शुरू कर दी है जबकि नागपुर मेट्रो परियोजना शुरू होने के बाद कार्बन क्रेडिट के लिए पंजीकरण करेगी।
वहीं दूसरी ओर भोपाल और इंदौर मेट्रो ने मंत्रालय को बताया है कि उनके स्टेशनों और डिपो को इंडिय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल (आइजीबीसी) प्लेटिनम रेटिंग के लिए डिजाइन तैयार किया है, जिससे उचित समय में मेट्रो सेवाओं को उचित समय पर कार्बन क्रेडिट प्राप्त हो सके। अब तक देश में हैदराबाद, कानपुर और आगरा मेट्रो ऐसी है जिन्होंने कार्बन क्रेडिट के लिए पंजीकरण नहीं कराया है।
जबकि अहमदाबाद, सूरत, पटना, बंगलुरु, जयपुर और कोलकाता मेट्रो ने कार्बन क्रेडिट के संबंध में समिति को कोई जानकारी नहीं दी है। समिति के मुताबिक अभी कार्बन क्रेडिट के लिए पंजीकरण करना अनिवार्य नहीं है। इसलिए अभी मेट्रो सेवाएं इससे दूर है। इसलिए समिति सभी मेट्रो रेल परियोजनाओं के लिए सिफारिश की है कि वे कार्बन क्रेडिट के लिए अनिवार्य तौर पर पंजीकरण कराने की व्यवस्था को लागू करें। इस मामले में आवासन और शहरी कार्य संबंधित स्थायी समिति के सभापति राजीव रंजन सिंह ललन ने यह रिपोर्ट संसद में पेश की है।
दिल्ली-मुंबई को छोड़कर सभी राज्यों में कम है मेट्रो के यात्री
देश में दिल्ली और मुंबई को छोड़कर देश के अधिकांश मेट्रो वाले शहरों में यात्रियों की संख्या कम है। रिपोर्ट में बताया गया है कि बंगलुरु , हैदराबाद, लखनऊ, चेन्नई, कोलकाता और कोच्चि में यात्रियों की संख्या कम है। समिति का मानना है कि लंबे समय तक मेट्रो को संचालन के बाद भी यह प्रदर्शन निराशाजनक है। समिति की इस रिपोर्ट पर मंत्रालय ने सभी जगहों पर यात्रियों की संख्या बढ़ाने की दिशा में काम करने की सिफारिश की है। मेट्रो ने यह भी जानकारी मंत्रालय को दी है कि बीते सालों में कोरोना महामारी की वजह से उसका कार्य सबसे अधिक प्रभावित रहा है।