इन अधीनम के द्वारा दक्षिण की मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार राजदंड (सेंगोल) का पूजन हुआ और विधिवत इस राजदंड को लोकसभा अध्यक्ष के आसन के नजदीक स्थापित किया गया। इस पूजन के लिए खासतौर पर बीस धर्मगुरु दिल्ली आए थे। बताया जा रहा है कि इन गुरुओं में मुख्य तौर पर धर्मपुरम अधीनम, पलानी अधीनम, थिरुकोयालुर अधीनम शामिल थे।
अधीनम करीब सवा सात बजे ही संसद परिसर में आ गए थे और वहां पर नियम परंपराओं का पालन करते हुए पूजन शुरू कर दिया। ये सभी तमिलनाडु मठ से संबंधित है। इनके माध्यम से ही नए भवन के नजदीक ही राजदंड पूजन के लिए हवन कुंड बनाया गया था। जहां पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला की अगुआई में यह पूजन संपन्न हुआ। पूजन के बाद यह राजदंड प्रधानमंत्री को दिया गया है और उन्होंने यह दंड लोकसभा अध्यक्ष के आसन के नजदीक स्थापित किया। इसके बाद इस दंड की सर्वधर्म पूजा हुई।
नया परिसर पुराने संसद भवन के नजदीक ही तैयार किया गया है। इस परिसर के द्वार हैं और इसके बाद सदन का आकार दो गुना हो गया है। राज्यसभा को कमल के आकार में तैयार किया गया है और इस सदन की क्षमता को डेढ़ गुना तक बढ़ाया गया है। सदन के केंद्रीय कक्ष में एक डिजिटल संविधान की प्रति को भी रखा गया है और दोनों ही सदनों में अशोक च्रक को जगह दी गई है। लोकसभा का पूरा कक्ष राष्ट्रीय पक्षी मोर की अवधारणा को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस पूरे भवन में करीब 1700 से अधिक दरवाजे हैं और इसके गलियारे करीब साढ़े तीन किलोमीटर लंबे हैं ।