Maharashtra Healthcare System: नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (सीएजी) ने महाराष्ट्र में स्वास्थ्य की लचर व्यवस्था को लेकर सरकार की कड़ी आलोचना की है। शनिवार को राज्य विधानसभा में पेश की गई रिपोर्ट में सरकार की कई विफलताओं की ओर ध्यान दिलाया गया है, जिसमें डॉक्टरों और पैरामेडिकल कर्मियों की कमी और दवाओं की अपर्याप्त आपूर्ति शामिल है। इसमें क्लिनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट लागू करने की आवश्यकता पर भी बात की गई है।
कैग ने पाया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा संचालित सुविधाओं में डॉक्टरों, नर्सों और पैरामेडिकल स्टाफ (क्रमशः 27%, 35% और 31%) की भारी कमी है। रिपोर्ट में कहा गया है कि स्वास्थ्य सेवा संस्थानों की कमी के कारण सार्वजनिक स्वास्थ्य ढांचे पर अत्यधिक बोझ है, जिसके परिणामस्वरूप स्वास्थ्य सेवा संस्थान भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों में निर्धारित मानदंडों से अधिक आबादी की सेवा करते हैं। इसमें कहा गया है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि अनुमानित आबादी को ध्यान में रखते हुए बुनियादी ढांचे में अंतर की पहचान करने के लिए एक व्यापक योजना तैयार की जाए और समयबद्ध तरीके से लागू की जाए, ताकि भारतीय सार्वजनिक स्वास्थ्य मानकों के अनुसार पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल संस्थान उपलब्ध हों।
रिपोर्ट में सरकार की आलोचना की गई है कि उसने 33 उप-जिला और ग्रामीण अस्पतालों में रोगी-केंद्रित आहार उपलब्ध नहीं कराया है। इसमें यह भी कहा गया है कि सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि स्वास्थ्य सेवा संस्थान समयबद्ध तरीके से बिजली और संरचनात्मक लेखा परीक्षा आवश्यकताओं का अनुपालन करें। रिपोर्ट में कहा गया है, “हाफ़किन बायो-फ़ार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा आपूर्ति आदेश देने में विफलता के परिणामस्वरूप उसके पास ₹ 2,052.28 करोड़ की राशि अप्रयुक्त पड़ी रही।” ऑडिट में पाया गया कि स्वास्थ्य सेवा संस्थानों द्वारा मांगी गई 71 प्रतिशत वस्तुओं की आपूर्ति 2017-18 से 2021-22 तक हाफ़किन बायो-फ़ार्मास्युटिकल कॉर्पोरेशन लिमिटेड द्वारा नहीं की गई।”
सीएजी ने स्वास्थ्य क्षेत्र पर बहुत कम खर्च के लिए भी सरकार की आलोचना की है, जो 2016-17 में 4.09% से बढ़कर 2021-22 में बजट का 4.91% हो गया। इसने सिफारिश की है कि सरकार राष्ट्रीय स्वास्थ्य नीति के अनुरूप बजटीय आवंटन बढ़ाने के लिए आवश्यक कदम उठाए।
सीएजी रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि राज्य सरकार 2016-17 से 2021-22 तक राष्ट्रीय शहरी और ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत केंद्र सरकार के फंड का उपयोग करने में विफल रही। रिपोर्ट में कहा गया है कि अप्रयुक्त फंड का प्रतिशत 2016-17 में 76% और 2021-22 में 18% था। राज्य को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि एनएचएम फंड का उचित उपयोग हो।
2100 रुपये के लिए कब से होगा रजिस्ट्रेशन? अरविंद केजरीवाल ने बता दी तारीख
सीएजी रिपोर्ट ने जनता को न्यूनतम मानक सेवाएं सुनिश्चित करने के लिए संगठनों के उचित पंजीकरण और पर्याप्त निगरानी के लिए महाराष्ट्र में नैदानिक प्रतिष्ठान अधिनियम के कार्यान्वयन की भी सिफारिश की है। रिपोर्ट में कहा गया है, “राज्य में नर्सिंग होम और स्वास्थ्य सेवा सुविधाओं को महाराष्ट्र नर्सिंग होम पंजीकरण अधिनियम के तहत विनियमित किया जाता है, जिसका दायरा सीमित है।” “यह डिस्पेंसरी, क्लीनिक, सेनेटोरियम और डायग्नोस्टिक सेंटर को कवर नहीं करता है, जबकि स्थानीय पर्यवेक्षण अधिकारी नर्सिंग होम का समय-समय पर निरीक्षण नहीं करते हैं।”
दवा विक्रेताओं और चिकित्सा सुविधाओं की प्रभावी निगरानी के लिए खाद्य एवं औषधि प्रशासन में रिक्त पदों को भरने के लिए सरकार को निर्देश देने के अलावा, कैग रिपोर्ट में स्वास्थ्य देखभाल संस्थानों में जैव-चिकित्सा अपशिष्ट प्रबंधन के सख्त विनियमन की भी सिफारिश की गई है।
57 फीसदी अस्पतालों में डॉक्टरों की सीट खाली
ऑडिटर जनरल ने रिपोर्ट में बताया गया कि स्वास्थ्य विभाग और चिकित्सा शिक्षा एवं औषधि विभाग के अंतर्गत आने वाले ‘ट्रॉमा केयर सेंटर’ में 23 प्रतिशत और 44 प्रतिशत रिक्तियां हैं। रिपोर्ट में सरकार से कहा गया है कि वह लोगों को गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करने के लिए स्वास्थ्य क्षेत्र में रिक्तियों को समय बद्ध तरीके से भरे।
बता दें, हाल के दिनों में महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से स्वास्थ्य व्यवस्था खराब होने की वजह से लोगों की जान जाने की खबर सामने आई। जिसके बाद यह सवाल उठने लगा था कि महाराष्ट्र की स्वास्थ्य व्यवस्था को ठीक किया जाना जरूरी है। इस बीच अब कैग की रिपोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार के सामने फिर से सवाल खड़े कर दिए हैं।
यह भी पढ़ें-