नागरिकता संसोधन कानून का विरोध बढ़ता ही जा रही है। छात्रों और आम लोगों के अलावा अब कई लेखक भी इस कानून के विरोध में उतर गए हैं। बता दें कि अरुंधति रॉय, देवदत्त पटनायक और रामचंद्र गुहा जैसे लेखकों ने नागरिकता कानून को देश विरोधी बताया है और चेताया है कि यह देश के संविधान की कमर तोड़ देगा। देवदत्त पटनायक ने जामिया यूनिवर्सिटी और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में पुलिस कार्रवाई की निंदा की।
अरुंधति रॉय ने कहा कि तीन साल पहले सरकार ने नोटबंदी कर हमें बैंकों को बाहर खड़ा रखा और देश की अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी। अब एनआरसी और नागरिकता संशोधन कानून लाकर सरकार देश के संविधान की कमर तोड़ देगी और हमारे पैरों के तले से जमीन छीन लेगी।
रॉय ने कहा कि हम देश की आजादी के बाद से अपनी सबसे बड़ी चुनौती का सामना कर रहा है। कृप्या एकजुट हों। वहीं पौराणिक विषय के लेखक देवदत्त पटनायक ने कहा कि जो राजनेता कभी कॉलेज नहीं गए, उन्हें छात्रों के मामले पर सलाह नहीं देनी चाहिए।
पटनायक ने देश में प्याज समेत अन्य चीजों पर बढ़ रही महंगाई को लेकर सरकार पर निशाना साधा और कहा कि सरकार को महंगाई के बारे में कुछ नहीं पता है, लेकिन उन्हें यूनिवर्सिटी और कॉलेज में जेहादी या माओवादी मिल रहे हैं। चेतन भगत ने कहा कि चाहे उनके कुछ भी ऐतिहासिक नाम हों, भारत में कोई हिंदू या मुस्लिम यूनिवर्सिटी नहीं है। सभी भारतीय यूनिवर्सिटीज हैं और उनकी रक्षा की जानी चाहिए।
इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने महात्मा गांधी के एक बयान को उद्धत करते हुए कहा कि हिंदू और मुसलमान एक ही माता-पिता की संतान हैं और उन्हें वैसे ही एक दूसरे के प्रति व्यवहार करना चाहिए।
वहीं छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने नागरिकता कानून का विरोध करते हुए सत्ताधारी पार्टी भाजपा पर सत्ता में रहने के लिए समाज में ध्रुवीकरण करने का आरोप लगाया। बघेल ने कहा कि यदि एनआरसी लागू होता है तो वह इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं करने वाले पहले व्यक्ति होंगे। बघेल ने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि वह काले अंग्रेजों का विरोध करेंगे। छत्तीसगढ़ के सीएम ने कहा कि भाजपा कुछ नहीं कर रही है और सिर्फ लोगों को भड़का रही है।