देश में नागरिकता संशोधन अधिनियम यानी कि सीएए लागू होने की सुगबुगाहट तेज हो गई है। माना जा रहा है कि इस साल कभी भी इस कानून को लागू किया जा सकता है। गृह मंत्री अमित शाह ने भी बंगाल की धरती से दो बार इस कानून को लागू करने की बात कर दी है। इस बीच AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने सीएए पर बड़ा बयान दिया है।
ओवैसी ने कहा कि CAA संविधान विरोधी है। यह एक कानून है जो धर्म के आधार पर बनाया गया है। CAA को NPR-NRC के साथ पढ़ा और समझा जाना चाहिए जो इस देश में आपकी नागरिकता साबित करने के लिए शर्तें तय करेगा। यदि ऐसा होता है तो यह घोर अन्याय होगा, विशेषकर मुसलमानों, दलितों और भारत के गरीबों के साथ, चाहे वे किसी भी जाति या धर्म के हों।
अब ये कोई पहली बार नहीं है जब ओवैसी द्वारा सीएए कानून का विरोध किया गया हो। वे शुरुआत से ही इसके खिलाफ बयानबाजी करते आ रहे हैं। कई दूसरे विपक्षी दल भी इस कानून को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। इस एक सीएए की वजह से देश में दंगे जैसी स्थिति भी पैदा हो चुकी है, कई लोगों ने अपनी जान गंवाई है, कई जगह पर कर्फ्यू लगा है और हजारों गिरफ्तारियां भी देखने को मिली हैं।
वैसे सीएए अगर कानून बन जाता है तो जो भारत के तीन मुस्लिम देश हैं- पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश, यहां रहने वाले हिंदू, सिख, ईसाई, जैन, बौद्ध और पारसी लोगों को आसानी से भारत की नागरिकता मिल सकती है।प्रक्रिया का पालन तो उन्हें भी करना पड़ेगा, लेकिन उसकी अवधि कम हो जाएगी। मतलब नॉर्मल आदमी को देश की नागरिकता लेने के लिए 11 साल भारत में रहना होगा, लेकिन इन मुस्लिम देशों से आए लोगों के लिए ये अवधि एक से छह साल रहने वाली है।