शाहीन बाग प्रदर्शनकारियों को दूसरे स्थल पर जाने के लिए मनाने के लिए उच्चतम न्यायालय द्वारा दो वार्ताकारों की नियुक्ति से प्रदर्शनकारियों को थोड़ी निराशा हुई, हालांकि उनमें से कई का मानना है कि अपनी असहमति को लेकर सरकार से बात करना ही अंतिम रास्ता है। नागरिकता संशोधन अधिनियम के विरोध में सैकड़ों लोग, विशेषकर महिलाएं दिल्ली के शाहीन बाग में डेरा डाले हुए हैं, जिनके प्रदर्शनों की वजह से मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया है। साथ ही शहर में यातायात की समस्या पैदा हो गई है।
सुप्रीम कोर्ट में सीएए और एनआरसी के खिलाफ नई दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को लेकर दायर की गई याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा रहा है कि लोगों को कानून के खिलाफ विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि विरोध करना कहां है?
शीर्ष अदालत ने कहा, “हमारी चिंता यह है कि अगर लोग सड़कों पर उतरने लगेंगे और विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क को अवरुद्ध कर देंगे, तो क्या होगा। एक संतुलन बना रहना चाहिए।” सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि समझौते से मामला नहीं सुलझता है तो प्रशासन अपने तरीके से काम कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है, लेकिन इसकी भी अपनी एक सीमा होती है।
वहीं, दूसरी ओर चेन्नई में एक दिलचस्प तस्वीर देखने को मिली। संशोधित नागरिकता कानून के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन स्थल पर एक मुस्लिम युगल ने सोमवार को शादी की। उनके हाथों में सीएए के विरोध में लिखे नारों वाली तख्तियां थीं। दुल्हन ने जरी के काम वाली चटख लाल रंग की साड़ी, जबकि दूल्हे ने कत्थई रंग की पोशाक पहन रखी थी।


दिल्ली के शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारियों के एक वर्ग ने कहा कि उनके द्वारा लगाए गए तम्बू ने स्थल को ‘‘न्याय और समानता के लिए युद्ध का मैदान’’ बना दिया है। उन्होंने कहा कि वे वहां से जाने के विचार से विचलित नहीं हैं, लेकिन वे पहले सीएए पर सरकार के साथ विस्तृत बातचीत करना चाहते हैं। बाटला हाउस निवासी शाहीदा खान ने कहा, ‘‘हमने 15 दिसंबर को अपना विरोध प्रदर्शन शुरू किया जब जामिया मिलिया इस्लामिया में छात्रों को पुलिस द्वारा बुरी तरह से पीटा गया था। हमें स्थानांतरण से बहुत खुशी नहीं होगी लेकिन चूंकि यह अदालत का फैसला है, इसलिए हम इसे पूरे सम्मान के साथ स्वीकार करेंगे।’’
दिल्ली के शाहीनबाग में सीएए और एनआरसी के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे लोगों ने कहा कि न्यायालय के आदेशों का हम सम्मान करते हैं, लेकिन सीएए और एनआरसी जैसे कानूनों का विरोध जारी रखेंगे। प्रदर्शनकारी लोगों का कहना है कि आपस में बांटने वाले कानूनों का समर्थन नहीं कर सकते हैं।
बिहार के गया जिला की पुलिस ने सीएए-एनपीआर-एनआरसी के विरोध में जारी प्रदर्शन में शामिल होने आई नौ महिलाओं को हिरासत में लिया है। इन महिलाओं पर प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा माओवादी से जुड़े होने के आरोप हैं। वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक राजीव मिश्र ने सोमवार को बताया कि रविवार की शाम हिरासत में ली गईं महिलाओं से केंद्रीय एजेंसी पूछताछ कर रही है।
संशोधित नागरिकता कानून और राष्ट्रीय नागरिकता पंजी के खिलाफ सोमवार को अपनी पदयात्रा से सम्बन्धित पर्चे बांट रहे मैगसायसाय पुरस्कार प्राप्त सामाजिक कार्यकर्ता संदीप पाण्डेय समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया है।पुलिस सूत्रों ने बताया कि पाण्डेय घंटाघर से गोमतीनगर स्थित उजरियांव तक आज होने वाली अपनी पदयात्रा से सम्बन्धित पर्चे घंटाघर इलाके में नियमविरुद्ध तरीके से बांट रहे थे। इस पर पाण्डेय तथा उनके नौ साथियों को गिरफ्तार कर लिया गया।उन्होंने बताया कि पाण्डेय तथा अन्य लोगों को धारा 151 (हटने को कहे जाने के बावजूद जानबूझकर पांच या ज्यादा लोगों का समूह बनाकर खड़े होना) के तहत गिरफ्तार किया गया है।गौरतलब है कि लखनऊ के घंटाघर परिसर में महिलाएं पिछले एक महीने से सीएए और एनआरसी के खिलाफ अनिश्चितकालीन प्रदर्शन कर रही हैं।
पिछले वर्ष 15 दिसंबर को जामिया के निकट सीएए के खिलाफ प्रदर्शन हिंसक हो गया था। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पथराव किया था और सरकारी बसों तथा निजी वाहनों को आग लगा दी थी।बाद में पुलिस जामिया परिसर में घुसी, आंसू गैस के गोले छोड़े तथा छात्रों पर लाठीचार्ज किया था। पुलिस की कार्रवाई में याचिकाकर्ताओं समेत कई छात्र घायल हो गए थे।
दिल्ली की एक अदालत ने देशद्रोह के आरोप में गिरफ्तार शर्जील इमाम को संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ 15 दिसंबर को न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में ंिहसक प्रदर्शनों से संबंधित एक अलग मामले में सोमवार को दिल्ली पुलिस की एक दिन की हिरासत में भेज दिया। पुलिस ने बताया कि मामले में एक अन्य आरोपी ने खुलासा किया है कि उसे इमाम के भाषणों ने उकसाया था, जिसके बाद मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट गुरमोहन कौर ने इमाम को हिरासत में भेज दिया।
उच्चतम न्यायालय वकील अमित साहनी द्वारा दायर एक अपील की सुनवाई कर रहा था। साहनी ने दिल्ली उच्च न्यायालय का भी रूख किया था और 15 दिसम्बर को सीएए विरोधी प्रदर्शनकारियों द्वारा अवरूद्ध किये गये कालिंंदी-शाहीन बाग मार्ग पर यातायात के सुचारू संचालन के लिए दिल्ली पुलिस को निर्देश दिये जाने का अनुरोध किया था।
पीठ ने कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का बुनियादी अधिकार है लेकिन जो बात हमें परेशान कर रही है, वह सार्वजनिक सड़कों का अवरूद्ध होना है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ऐसा संदेश नहीं जाना चाहिए कि हर संस्था इस मुद्दे पर शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों को मनाने की कोशिश कर रही है।
पीठ ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े और वकील साधना रामचंद्रन को प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें ऐसे वैकल्पिक स्थल पर जाने के लिए राजी करने को कहा, जहां कोई सार्वजनिक स्थान अवरुद्ध न हो।
शोधित नागरिकता कानून (सीएए) के खिलाफ शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शनों के कारण सड़कें अवरूद्ध होने को लेकर दायर की गई याचिकाओं की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति एस के कौल और न्यायमूर्ति के एम जोसेफ की एक पीठ ने कहा कि उसे चिंता इस बात की है कि यदि लोग सड़कों पर प्रदर्शन करने लगेंगे तो क्या होगा। न्यायालय ने कहा कि लोकतंत्र विचारों की अभिव्यक्ति से चलता है लेकिन इसके लिए भी सीमाएं हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यदि समझौते से मामला नहीं सुलझता है तो प्रशासन अपने तरीके से काम कर सकती है। कोर्ट ने कहा कि लोकतंत्र लोगों की अभिव्यक्ति से ही चलता है, लेकिन इसकी भी अपनी एक सीमा होती है।
कोर्ट ने कहा कि सार्वजनिक रास्तों पर धरना देकर उसे बंद नहीं कर सकते हैं। कोर्ट ने प्रदर्शनकारियों के साथ मध्यस्थता करने के लिए तीन लोगों के नाम सुझाए हैं। इसकी अगली सुनवाई सोमवार 24 जनवरी को होगी।
सुप्रीम कोर्ट ने वरिष्ठ अधिवक्ता संजय हेगड़े से शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों से बात करने और उन्हें प्रदर्शन स्थल को बदलने के लिए मनाने की कोशिश करने को कहा।
कोर्ट ने कहा, "विरोध प्रदर्शन करना लोगों का मौलिक अधिकार है। लोग विरोध कर सकते हैं लेकिन जो बात हमें परेशान कर रही है, वह प्रदर्शन के दौरान सड़कों का अवरुद्ध होना है।"
याचिका के माध्यम से कालिंदी कुंज के पास शाहीन बाग से नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए केंद्र और अन्य को उचित दिशा-निर्देश देने की मांग की गई थी।
शीर्ष अदालत ने कहा, 'हमारी चिंता यह है कि अगर लोग सड़कों पर उतरने लगेंगे और विरोध प्रदर्शन करते हुए सड़क को अवरुद्ध कर देंगे, तो क्या होगा। एक संतुलन बना रहना चाहिए।'
सुप्रीम कोर्ट में सीएए और एनआरसी के खिलाफ नई दिल्ली के शाहीन बाग में चल रहे प्रदर्शन को लेकर दायर की गई याचिका पर सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि यह नहीं कहा जा रहा है कि लोगों को कानून के खिलाफ विरोध करने का कोई अधिकार नहीं है, लेकिन सवाल यह है कि विरोध करना कहां है?