संशोधित नागरिकता कानून (सीएए) और नेशनल रजिस्ट्रर ऑफ सिटीजन (एनआरसी) पर विवाद के बीच गुवाहटी हाई कोर्ट ने मंगलवार को कहा है कि जमीन के कागज, बैंक स्टेटमेंट्स और पैन को नागरिकता साबित करने के लिए इस्तेमान नहीं किया जा सकता। कोर्ट ने एक महिला की याचिका को खारिज करते हुए यह बात कही। महिला को ट्रिब्यूनल कोर्ट ने ‘विदेशी’ घोषित किया है। हालांकि भूमि और बैंक के रिकॉर्ड एनआरसी की अवैध आप्रवासियों की पहचान करने के लिए असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) की प्रक्रिया में स्वीकार किए गए दस्तावेजों की सूची में थे।

हालांकि यह पहला मौका नहीं है जब कोर्ट ने ये टिप्पणी को हो। इससे पहले कोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा था कि फोटो वाला वोटर आईडी कार्ड किसी की नागरिकता को साबित करने के लिए अंतिम दस्तावेज नहीं माना जा सकता। मालूम हो कि एनआरसी की प्रक्रिया के तहत 19 लाख लोगों के नाम एनआरसी सूची से बाहर हैं।

ये लोग अपनी नागरिकात को साबित करने के लिए लगातार प्रयास कर रहे हैं। उत्तर-पूर्व राज्य में 100 विदेशी ट्रिब्यूनल स्थापित किए गए हैं, जो बांग्लादेश की सीमा पर हैं। इनमें लगातार ऐसे मामलों की सुनवाई की जा रही है। जिन मामलों को ट्रिब्यूनल खारिज कर रही है तो फिर उन्हें हाई कोर्ट में ले जाया जा रहा है। वहीं भारतीय न्यायिक प्रणाली के तहत हाई कोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट में जाने तक की व्यवस्था की गई है।

एनआरसी लिस्ट से बाहर किए गए लोग अगर अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाए तो उन्हें डिटेंशन सेंटर भेजा जाएगा। हालांकि सरकार ने कहा है कि जब तक किसी के सारे कानूनी विकल्प खत्म नहीं हो जाते उसे तबतक डिटेंशन कैंप में नहीं भेजा जाएगा। हालांकि इस सूची में महत्त्वपूर्ण दस्तावेजों को नजरअंदाज करने के आरोप भी लगे हैं। जिन 19 लाख लोगों को विदेशी घोषित किया गया है, उनमें से लाखों लोगों के पास वैध दस्तावेज थे, लेकिन उन्हें एनआरसी में शामिल नहीं किया गया। सवाल असम सरकार के महत्त्वपूर्ण लोगों ने ही उठाया है।