नागरिकता संशोधति कानून के संचालन को लेकर नियम अभी तय नहीं हुए हैं लेकिन उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य भर के जिला अधिकारियों से शरणार्थियों और प्रवासियों के बारे में जानकारी एकत्रित करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। सरकार ने शरणार्थियों और प्रवासियों के बारे में जानकारी के लिए जिला प्रशासनों को स्पेशल फॉर्म भी भेजे हैं।  इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत के दौरान कम से कम चार जिलाधिकारियों ने कहा कि यह नागरिकता संशोधित कानून लागू करने की शुरुआती प्रक्रिया है।

बताया जा रहा है कि उत्तर प्रदेश सरकार ने CAA लागू करने से पहले सर्वे शुरू करवाया। लखनऊ के एक शीर्ष अधिकारी ने नाम जाहिर ना करने की शर्त पर बताया कि 15 से ज्यादा जिलों से लगभग 40 हजार शरणार्थियों के बारे में सरकार को जानकारी भेजी जा चुकी है। जिला प्रशासन से ऐसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पार्सी और ईसाई के बारे में विस्तार से जानकारी मांगी गई है जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत में प्रवेश कर चुके हैं।

अधिकारियों को ऐसे लोगों के नाम, उनके पिता का नाम, वर्तमान पता और मोबाइल नंबर, भारत में आने की तारीख, वे जिस देश से आते हैं, और उनके उत्पीड़न का विवरण मांगा गया है।

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा सभी जिलों को यह फार्म भेजा गया है।

पीलीभीत के जिला मजिस्ट्रेट वैभव श्रीवास्तव ने बताया कि “सरकारी निर्देश पर, हमने जिले में रहने वाले शरणार्थियों की अनुमानित संख्या प्राप्त करने के लिए एक प्रारंभिक सर्वे शुरू किया है। हालांकि यह वास्तविक पहचान प्रक्रिया नहीं है। अबतक हमने कुल पाया कि जिले में कुल  95,000 शरणार्थी रहते हैं। इसमें से लगभग 58,000 ने अपनी नागरिकता प्राप्त कर ली है और शेष 37,000 लोग बिना नागरिकता के रह रहे हैं।हमारे लिए उनकी पहचान करना आसान रहा क्योंकि यह लोग एक इलाके में रहते हैं। हालांकि सर्वे अभी भी जारी है।”

हापुड़ प्रशासन की तरफ से ऐसे 522 लोगों की लिस्ट भेजी गई है। वहीं,बहराइच में पिछले तीन दशकों से जिले में रहने वाले केवल छह परिवारों ने सभी डिटेल्स दी हैं। जिला अधिकारी शंभु कुमार ने कहा कि इन परिवारों का दावा है कि वो बांग्लादेश से आए हैं और उन्होंने नए कानून के तहत भारतीय नागरिकता मांगी है।