लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी अमेरिका दौरे पर हैं। इस बीच उन्होंने आरक्षण को लेकर बड़ा बयान दिया है। वॉशिंगटन में एक यूनिवर्सिटी के छात्रों से राहुल गांधी बात कर रहे थे। इस दौरान उनसे पूछा गया कि आरक्षण कब तक जारी रहेगा? उन्होंने कहा कि जब भारत में निष्पक्षता होगी, तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे। इस पर बवाल मचा हुआ है। बसपा सुप्रीमो मायावती ने भी राहुल गांधी पर निशाना साधा है।

मायावती ने राहुल गांधी पर साधा निशाना

बसपा सुप्रीमो मायावती ने X पर लिखा, “केंद्र में काफी लम्बे समय तक सत्ता में रहते हुए कांग्रेस पार्टी की सरकार ने ओबीसी आरक्षण को लागू नहीं किया और ना ही देश में जातीय जनगणना कराने वाली यह पार्टी अब इसकी आड़ में सत्ता में आने के सपने देख रही है। इनके इस नाटक से सचेत रहें जो आगे कभी भी जातीय जनगणना नहीं करा पाएगी।”

मायावती ने राहुल गांधी के आरक्षण वाले बयान पर कहा, “अब कांग्रेस पार्टी के सर्वेसर्वा श्री राहुल गांधी के इस नाटक से भी सर्तक रहें, जिसमें उन्होंने विदेश में यह कहा है कि भारत जब बेहत्तर स्थिति में होगा तो हम SC, ST, OBC का आरक्षण खत्म कर देंगे। इससे स्पष्ट है कि कांग्रेस वर्षों से इनके आरक्षण को खत्म करने के षडयंत्र में लगी है। इन वर्गों के लोग कांग्रेसी नेता राहुल गांधी के दिए गए इस घातक बयान से सावधान रहें, क्योंकि यह पार्टी केंद्र की सत्ता में आते ही, अपने इस बयान की आड़ में इनका आरक्षण जरूर खत्म कर देगी। ये लोग संविधान व आरक्षण बचाने का नाटक करने वाली इस पार्टी से जरूर सजग रहें।”

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मायावती यही नहीं रुकीं। उन्होंने आगे लिखा, “सच्चाई में कांग्रेस की शुरू से ही आरक्षण विरोधी सोच रही है। केंद्र में रही इनकी सरकार में जब इनका आरक्षण का कोटा पूरा नहीं किया गया तब इस पार्टी से इनको इंसाफ ना मिलने की वजह से ही बाबा साहेब डा. भीमराव अम्बेडकर ने कानून मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था। लोग सावधन रहें। कुल मिलाकर जब तक देश में जातिवाद जड़ से खत्म नहीं हो जाता है तब तक भारत की स्थिति अपेक्षाकृत बेहतर होने के बावजूद भी इन वर्गों की सामाजिक, आर्थिक व शैक्षणिक हालत बेहतर होने वाली नहीं है। जातिवाद के समूल नष्ट होने तक आरक्षण की सही संवैधानिक व्यवस्था जारी रहना जरूरी है।”

राहुल ने दिया था बयान

आरक्षण को लेकर राहुल गांधी ने कहा था, “जब भारत में (आरक्षण के लिहाज से) निष्पक्षता होगी, तब हम आरक्षण खत्म करने के बारे में सोचेंगे। अभी भारत इसके लिए एक निष्पक्ष जगह नहीं है। आदिवासियों को 100 रुपये में से 10 पैसे मिलते हैं और दलितों को 100 रुपये में से पांच रुपये मिलते हैं और अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लोगों को भी लगभग इतने ही पैसे मिलते हैं। उन्हें उचित भागीदारी नहीं मिल रही है।”