Haryana News: भारतीय कु्श्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और पूर्व बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह कुश्ती के गढ़ चरखी दादरी में पहुंचे। चरखी दादरी ओलंपिक पदक विजेता और कांग्रेस विधायक विनेश फोगाट का होम टाउन है। कई खाप पंचायतों ने बृजभूषण के इस दावे का विरोध किया था। इसके बावजूद आयोजकों के निमंत्रण पर बृजभूषण सिंह पहुंचे तो इसे राजपूतों के शक्ति प्रदर्शन के तौर पर देखा जा रहा है।
कई पहलवानों ने बृजभूषण सिंह पर आरोप लगाए थे कि जब वे WFI के प्रमुख थे तो उन्होंने महिला पहलवानों का यौन शोषण किया था। इसको लेकर विनेश फोगाट ने उनके खिलाफ सबसे मुखर आवाज उठाई थी। गंभीर आरोपों का सामना कर रहे बृजभूषण सिंह को पहलवान रचना परमार को सम्मानित करने के एक कार्यक्रम में चीफ गेस्ट के तौर बुलाया गया था।
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विनेश फोगाट भी पहुंचीं
रचना परमार ने हाल ही में वियतनाम में अंडर-17 एशियाई कुश्ती चैंपियनशिप में महिलाओं की 43 किलोग्राम वर्ग में गोल्ड मेडल जीता था। बात चरखी दादरी की करें तो ये ओलंपियन पहलवान विनेश फोगाट का गृह जिला भी है, जो कि वर्तमान में जींद जिले की जुलाना सीट से कांग्रेस की विधायक हैं। खास बात यह है कि इस कार्यक्रम के विनेश फोगाट भी पहुंची थीं लेकिन बृजभूषण सिंह के आने से पहले ही समय की कमी का हवाला देकर वहां से निकल गईं थी।
जाट समाज की नाराजगी से बचने की कोशिश
राजपूत महासभा के आयोजकों ने बृजभूषण सिंह के अलावा लोकल बीजेपी विधायक सुनील सांगवान और लोकसभा सांसद धर्मबीर सिंह को भी बुलाया था। ये सभी समय की कमी का हवाला देते हुए बृजभूषण सिंह के पहुंचने से पहले ही ये सभी वापस चले गए थे। हालांकि, बृजभूषण सिंह के आने से पहले इन नेताओं के कार्यक्रम से वापस लौटने को सियासी समीकरणों के तौर पर देखा जा रहा है, क्योंकि वे नहीं चाहते थे कि ज्यादा रुककर वे जाट समुदाय को नाराज करें।
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बता दें कि चरखी दादरी की कई खाप पंचायतों ने सार्वजनिक तौर बृजभूषण सिंह के आने का विरोध किया था। इन सभी ने आयोजकों से आग्रह किया था कि पूर्व WFI चीफ को न बुलाया जाए। स्थानीय खाप नेता कृष्ण फोगट ने एक बयान में कहा कि ऐसे लोग भाईचारा तोड़ने आते हैं, एकजुट करने नहीं। स्थानीय विधायक और सांसद को भी समारोह में शामिल नहीं होना चाहिए।
राजपूत समाज ने किया शक्ति प्रदर्शन
हालांकि, चरखी दादरी से राजपूत महासभा के नेता पवन संजरवास ने यात्रा का विरोध करने वालों को असामाजिक तत्व कहा और चेतावनी दी कि अगर उन्होंने विरोध करने की कोशिश भी की तो उन्हें सबक सिखाया जाएगा। इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए संजरवास ने कहा कि बृजभूषण सिंह के विरोध ने राजपूत महासभा को ही मदद की है। इससे सम्मान समारोह में अधिक उपस्थिति हुई।
संजरवास ने यह भी कहा कि बृजभूषण सिंह के आने से राजपूत वोट बीजेपी के लिए एकजुट होंगे। करनाल से राजपूत समुदाय के नेता कर्नल (सेवानिवृत्त) देवेंद्र सिंह राणा ने भी पूर्व बीजेपी सांसद के आने का समर्थन किया। उन्होंने कहा कि इससे राजनीतिक प्रभाव डालने में मदद मिलेगी।
बीजेपी के लिए गिनाए फायदे
कर्नल (सेवानिवृत्त) देवेंद्र सिंह राणा ने कहा कि हरियाणा की आबादी का लगभग 8% राजपूत समुदाय मुख्य रूप से रेवाड़ी, महेंद्रगढ़, गुड़गांव, झज्जर, भिवानी, चरखी दादरी, अंबाला और करनाल जिलों में केंद्रित है। उनके अनुसार, इसका परिणाम 90 विधानसभा क्षेत्रों में से 17 में चुनावी प्रभाव के रूप में सामने आया। फिर भी, अभी तक हरियाणा में केवल दो राजपूत विधायक हैं, एक श्याम सिंह राणा रादौर से, तो दूसरे असंध से योगिंदर सिंह राणा है। श्याम सिंह राणा नायब सिंह सैनी की सरकार मंत्री भी हैं।
2023 में 9वीं शताब्दी के राजा मिहिर भोज की मूर्ति को लेकर विवाद को लेकर दरार उभर आई थी। कैथल के 35 बीजेपी नेताओं ने एक मूर्ति के अनावरण के दौरान राजा को गुर्जर प्रतिहार सम्राट मिहिर भोज कहने के बाद इस्तीफा देने की धमकी दी थी। राजपूत समुदाय का तर्क है कि मिहिर भोज उनके समुदाय से हैं और उन्हें “हिंदू सम्राट” के रूप में पेश किया जाना चाहिए। मामला फिलहाल पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय में लंबित है।
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