Malegaon Blast : मालेगांव ब्लास्ट (Malegaon blast) मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट (Bombay High Court) ने सोमवार को मुख्य आरोपी लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित (Lieutenant Colonel Prasad Shrikant Purohit) की अपील को खारिज कर दिया है। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित ने अपील की थी कि 2008 के मालेगांव विस्फोट के मामले में उन्हें आरोप मुक्त कर दिया जाए। मालेगांव ब्लास्ट में छह लोग मारे गए थे और 101 से अधिक घायल हुए थे। जस्टिस एएस गडकरी (Justices AS Gadkari) और जस्टिस प्रकाश नाइक (Prakash Naik) की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाया है।

अदालत ने क्या कहा

जस्टिस एएस गडकरी और प्रकाश नाइक की खंडपीठ ने यह आदेश सुनाते हुए कहा कि एक बम विस्फोट की गतिविधि में शामिल होना, जिससे छह लोगों की मौत हो गई, अपीलकर्ता द्वारा अपने आधिकारिक कर्तव्य में किया गया कार्य नहीं है। लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद श्रीकांत पुरोहित (Lieutenant Colonel Prasad Shrikant Purohit) के इस तर्क को दर्ज करने के बाद कि वह केवल अपना आधिकारिक कर्तव्य निभा रहे थे और अभिनव भारत के बारे में जानकारी एकत्र कर रहे थे।

अदालत ने कहा कि फिर इस सवाल का जवाब दिया जाना बाकी है कि उन्होंने मालेगांव के उस इलाके में जहां लोग बसते हैं बम विस्फोट को क्यों नहीं टाला जिससे यह नुकसान हुआ है और छह निर्दोष लोगों की जान चली गयी है और करीब 100 लोगों को गंभीर से गंभीर चोटें आईं हैं।

प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य आरोपियों के नाम भी है शामिल

मालेगांव ब्लास्ट (Malegaon blast) मामले में श्रीकांत पुरोहित को 2008 में गिरफ्तार किया गया था और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम और कई अन्य अपराधों के तहत आरोप लगाया गया था। मामले में भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और पांच अन्य भी आरोपी हैं। सुप्रीम कोर्ट ने गिरफ्तारी के नौ साल बाद 2017 में पुरोहित को जमानत दे दी थी।

इस्लामिक कैलेंडर के पवित्र महीने रमजान में जिस एलएमएल फ्रीडम मोटरसाइकिल से धमाका हुआ वह ठाकुर के नाम पर पंजीकृत थी। अभियोजन पक्ष के अनुसार, सेना अधिकारी होने के बावजूद पुरोहित ने 2007 में भारत को एक हिंदू राष्ट्र में बदलने के उद्देश्य से अभिनव भारत संगठन बनाया था।