भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत से जब पूछा गया कि केंद्र सरकार अगर एमएसपी लागू कर देती है तो क्या आपको पता है सरकार पर कितना आर्थिक बोझ आएगा? जवाब में टिकैत ने कहा कि सरकार पर क्यों बोझ बढ़ेगा? सरकार को जितनी खरीदनी है खरीद लें, व्यापारी जो व्यापार करता है और जो अनाज खरीदता है वो एमएसपी से कम पर नहीं खरीदे।
टिकैत ने कहा कि प्रधानमंत्री ने कहा है कि एमएसपी था, एमएसपी है और एमएसपी रहेगा। ये बात 10 दिन में पता चल जाएगा, किसान का गेहूं आने वाला है। गेहूं लेकर डीएम,एसडीएम, थाने पर और एक-दो न्यूज चैनल के बाहर किसान जाएंगे। जो न्यूज चैनल वाले कहते हैं कि एमएसपी है उनके बाहर भी किसान गेहूं लेकर जाएंगे। ट्रोली खड़ी कर के कहेंगे ये रेट है भाई खरीद लो। ट्रोली लेकर किसान फिल्मसिटी भी जाएंगे। प्रधानमंत्री ने हमें कहा है कि अनाज देश में कहीं भी बेच सकते हो।
राकेश टिकैत ने कहा कि वो देश भर में जा कर किसानों को आंदोलन के लिए एकजुट करेंगे। सरकार सब कुछ बेच रही है उसे रोकना तो पड़ेगा। देश का किसान बर्बाद हो रहा है। सरकार ने रेलवे को बेच दिया। बैंक को बेच दिया है। युवाओं के पास रोजगार नहीं है।
‘कंपनियों के गोदामों को ध्वस्त कर दिया जाएगा’: कुछ ही दिन पहले राजस्थान के श्रीगंगानगर में टिकैत ने चेतावनी देते हुए कहा था कि यदि तीन कानूनों को वापस नहीं लिया गया तो आदोलन की अगली कार्रवाई के तहत कुछ निजी कंपनियों को गोदामों को ध्वस्त कर दिया जाएगा।
गौरतलब है कि तीन नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन लगातार जारी है। पिछले लगभग 110 से अधिक दिनों से किसान दिल्ली बॉर्डर पर बैठे हुए हैं। सरकार के साथ 11 दौर की वार्ता के बाद भी दोनों पक्ष के बीच कोई फैसला नहीं हो पाया। जिसके बाद से सरकार और किसानों के बीच डेडलॉक जारी है। दोनों ही पक्षों के बीच अंतिम बार वार्ता 22 जनवरी को हुई थी।