कृषि कानूनों पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच ठन गई है। दोनों ही पक्ष अब अपने तर्कों पर अड़े हैं। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत दिल्ली स्थित गाजीपुर बॉर्डर के साथ दिल्ली के आसपास मौजूद राज्यों में गांव-गांव जाकर कृषि कानून के खिलाफ प्रचार करने में जुटे हैं। हाल ही में उन्होंने हरियाणा में एक महापंचायत की और कहा कि किसानों की लड़ाई बड़े व्यापारी से है, जो रोटियों को तिजोरी की वस्तु बनाना चाहता है।
क्या बोले राकेश टिकैत?: हमने गांवों के लोगों को बता दिया कि मीडिया आपके बारे में गलत दिखाए, तो उसकी बात सही मत मानना। लड़ाई बहुत बड़े व्यापारी से है, उसने चैनलों को भी खरीद लिया है। देश में व्यापार करना चाहता है रोटियों पर, भोजन पर। रोटियों को तिजोरी की वस्तु बनाना चाहता है। अनाज को तिजोरी में बंद करना चाहता है। भूख कितनी लगेगी इसके आधार पर कीमतें तय करना चाहता है।
टिकैत यहीं नहीं रुके। उन्होंने आगे कहा, “यह सरकार बड़े व्यापारियों की आ गई है। अगर यह सरकार किसी पार्टी की होती तो समझौता हो जाता। पहले भी सरकारें रही हैं। पहले जब आंदोलन हुए तो सरकारें बात करती थीं। लेकिन यह पहली सरकार देखी कि दिल्ली के जो एक-आध रास्ते खुले थे, वो भी बंद कर दिए। तो ये सरकार नहीं हो सकती, ये व्यापारी हैं, पक्के व्यापारी हैं। हरी-भरी कंपनियां सरकारों के बीच में घुस गईं, ये लुटेरे हैं देश को लूटने आए हैं।”
भाकियू नेता ने कहा कि देश को लुटने से बचाने के लिए कर्मचारी नहीं आए, दुकानदार नहीं आए, कर्मचारी पिटते रहे। इनका रुख जब गांव की तरफ हो गया, तो इनकी लगाम गांव के लोगों ने थाम ली। इनका मुकाबला करना पड़ेगा डटकर। अभी आंदोलन कितना लंबा चलेगा, यह भी तय नहीं है। इस आंदोलन को लगाकर चलना कि सर्दी तक आंदोलन चलेगा यह।
आंदोलन के 100 से ज्यादा दिन, दिल्ली की सीमाओं पर किसान जमे: आंदोलन के 100 दिन पूरे होने के बीच किसान नेताओं ने शनिवार को कहा कि प्रदर्शनकारी संगठन तीनों नए कृषि कानूनों को रद्द किए जाने की अपनी मांग पर अडिग हैं। साथ ही किसान नेताओं ने कहा कि वे सरकार के साथ वार्ता को तैयार हैं किंतु बातचीत बिना शर्त होनी जानी चाहिए। इससे पहले दिन में हजारों किसानों ने हरियाणा के कुछ स्थानों पर कुंडली-मानेसर-पलवल एक्सप्रेस-वे को अवरुद्ध किया। दिल्ली की सीमाओं पर किसान आंदोलन के 100 दिन पूरे होने के चलते किसानों ने रास्ता जाम करने अपना विरोध दर्ज कराया।