कृषि कानून पर केंद्र सरकार और किसान संगठनों के बीच चार महीने पहले से चल रहा विवाद अभी तक सुलझ नहीं पाया है। जहां भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार के ज्यादातर नेता अब किसानों के प्रदर्शनों को नजरअंदाज कर चार राज्यों और एक केंद्र शासित प्रदेश के चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं, वहीं किसान आगे की रणनीति तैयार कर रहे हैं। इस बीच भारतीय किसान यूनियन के नेता राकेश टिकैत ने ऐलान किया है कि वे बंगाल में जीत का सपना देख रही भाजपा की राह मुश्किल करने के लिए 5 अप्रैल को किसानों को ट्रैक्टर के साथ लेकर राज्य पहुंचेंगे।

राकेश टिकैत ने शुक्रवार को ‘द टेलिग्राफ’ अखबार से हुई बातचीत में पीएम नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए कहा, “वो तो हेलिकॉप्टर में चलेगा, हम पीछे-पीछे ट्रैक्टर में चलेंगे।” टिकैत ने बताया कि उनकी भाजपा के खिलाफ अब बंगाल में लड़ाई है। अब जरूरत है कि हम वहां रुकें। मैं 5 अप्रैल को बंगाल ट्रैक्टरों के साथ पहुंचुंगा, ताकि गरीबों को दर्द देने के लिए भाजपा की हार सुनिश्चित की जा सके। टिकैत ने कहा कि हम लोगों से अपील करेंगे कि वे जिस पार्टी को चाहें उसे वोट दें, पर भाजपा को नहीं। भाजपा को वोट देना राष्ट्रीय हितों के खिलाफ है।

संयुक्त किसान मोर्चा ने की भाजपा को वोट न देने की अपील: बता दें कि भाकियू किसानों के संयुक्त मोर्चा (एसकेएम) का हिस्सा है, जो कि लगातार केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ धरना दे रहा है। मोर्चा ने शुक्रवार को ही कोलकाता में एक रैली आयोजित की। एसकेएम ने किसानों से अपील की है कि वे भाजपा को चार राज्य बंगाल, असम, केरल, तमिलनाडु और एक केंद्र शासित प्रदेश- पुडुचेरी के विधानसभा चुनाव में हराएं। हालांकि, मोर्चा ने यह भी साफ किया है कि भाजपा का विरोध करने के दौरान वह किसी एक पार्टी के लिए अभियान नहीं करेगी।

इससे पहले विभिन्न किसान संघों के संगठन संयुक्त किसान मोर्चा (एसकेएम) ने शुक्रवार को पश्चिम बंगाल के किसानों और अन्य लोगों से आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को वोट नहीं देने का अनुरोध किया। मोर्चा ने कहा कि चुनावी हार केंद्र की भाजपा नीत सरकार को तीनों नए कृषि कानूनों को वापस लेने के लिए मजबूर करेगी।

योगेंद्र यादव-मेधा पाटकर साध चुके हैं भाजपा पर निशाना: एसकेएम नेता योगेंद्र यादव ने संवाददाताओं से कहा, “हम किसी भी पार्टी का समर्थन नहीं कर रहे हैं या लोगों से यह नहीं कर रहे हैं वे किसे वोट दें लेकिन हमारी एकमात्र अपील है कि भाजपा को सबक सिखाया जाए।” एसकेएम ने एक पत्र भी जारी किया जिसमें राज्य के किसानों से भाजपा को वोट नहीं देने का आग्रह किया गया है। मोर्चा ने पत्र में कहा कि चुनाव में हार से केंद्र सरकार कृषि कानूनों को रद्द करने के लिए मजबूर होगी।

सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटकर ने भाजपा पर ‘‘देश कुछ कॉरपोरेटों को बेचने” की कोशिश करने का आरोप लगाया और लोगों से अपने मताधिकार का प्रयोग सावधानीपूर्वक करने का आग्रह किया। किसानों के आंदोलन को “अपमानित’’करने के लिए केंद्र की निंदा करते हुए पाटकर ने आरोप लगाया कि ब्रिटिश शासकों ने भी ऐसे कृत्यों का सहारा नहीं लिया जैसा वर्तमान सरकार कर रही है। उन्होंने पश्चिम बंगाल विधानसभा में कृषि कानूनों के खिलाफ प्रस्ताव पारित किए जाने का स्वागत किया।