तीन राज्यों त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड के चुनावी नतीजों ने साफ कर दिया कि भाजपा का उत्तर-पूर्व (North-East) के राज्यों में प्रभाव बढ़ा है। नागालैंड में सत्तारूढ़ एनडीपीपी-भाजपा गठबंधन (NDPP-BJP Alliance) ने गुरुवार को 33 सीट जीतकर 60 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत हासिल कर लिया। त्रिपुरा में भाजपा फिर सरकार बनाने जा रही है। 2018 में भाजपा ने त्रिपुरा में 25 साल से काबिज वामपंथ को सत्ता से बाहर कर दिया था। मेघालय (Meghalaya) में भी भाजपा की स्थिति बेहतर हुई है। इसके साथ ही उत्तर-पूर्व के राज्यों में भाजपा ने कांग्रेस को पीछे कर दिया है। अगले साल यानी 2024 में लोकसभा का आम चुनाव होगा। उससे पहले उत्तर-पूर्वी राज्यों में इस जीत से भाजपा में उत्साह का माहौल है।
अरुणाचल और मणिपुर में भी सत्ता में है भाजपा
असम में भाजपा की सरकार है। 2016 में भाजपा ने आसाम में कांग्रेस के 15 साल के शासन को खत्म कर दिया था। अरुणाचल प्रदेश में भाजपा ने कांग्रेसी मुख्यमंत्री पेमा खांडू की पार्टी को अपनी तरफ मिला लिया। 2019 में अरुणाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 60 में से 41 सीटें जीतीं थीं। मणिपुर में 2017 में भाजपा ने जीता था और पूर्व कांग्रेसी एन बीरेन सिंह मुख्यमंत्री बने थे। 2022 में फिर यहां भाजपा को जीत मिली थी। सिक्किम और मिजोरम में स्थानीय पार्टियां सत्ता में हैं।
असम और त्रिपुरा हिंदू-बहुसंख्यक राज्य हैं, लेकिन पूर्वोत्तर के बाकी हिस्सों में, आदिवासी और ईसाई बहुसंख्यक हैं। इनमें से कई आदिवासी और ईसाई अंग्रेजी बोलते हैं। इसके बावजूद भाजपा का प्रभाव वहां बढ़ा है।
पूर्वोत्तर के असम में भाजपा की पहली जीत 2016 में केंद्र में मोदी सरकार के पहली बार सत्ता में आने के दो साल बाद मिली थी। 2015 में सोनिया गांधी और राहुल गांधी से नाराज युवा और प्रभावशाली कांग्रेस नेता हिमंत बिस्वा सरमा भाजपा में शामिल हो गए थे।
सरमा अब असम के मुख्यमंत्री हैं। उनके नेतृत्व में एक नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) का गठन किया गया था, ताकि भाजपा क्षेत्रीय शक्तियों के साथ काम करते हुए इस क्षेत्र में पैठ बना सके और जो लोग कांग्रेस और अन्य पार्टियों से नाराज हैं, उन्हें भाजपा में लाया जा सके।