चुनाव रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ को दिए इंटरव्यू में कहा कि बीजेपी बंगाल चुनाव में 5 रणनीतियों पर काम कर रही है। जिनमें पहला ध्रुवीकरण करना है। दूसरी रणनीति ममता बनर्जी की छवि खराब करना है, लोगों में उनको लेकर गुस्सा पैदा करना है। तीसरी रणनीति ये है कि बीजेपी ये साबित करना चाहती है कि टीएमसी एक दल के तौर पर वैंटिलेटर पर है। चौथी रणनीति चुनाव में दलित वोटरों को अपनी तरफ करना है। सबसे आखिरी रणनीति बीजेपी का मास्टर स्ट्रोक है और वह है मोदी की लोकप्रियता को भुनाना।

प्रशांत किशोर ने कहा कि बंगाल की लड़ाई मोदी बनाम ममता की लड़ाई है। इसमें दल बदलने वाले नेताओं से कुछ नहीं होने वाला। किशोर ने चेताया कि अगर बंगाल चुनाव बीजेपी जीत जाती है तो फिर देश पर एक पार्टी का एकाधिकार होगा। प्रशांत किशोर ने कहा कि ऐसा पहली बार होने जा रहा है कि जब बंगाल के सत्तारूढ़ क्षेत्रीय दल को कोई केंद्र की राष्ट्रीय पार्टी इस तरह चुनौती दे रही है। बीते सालों में लेफ्ट को कभी कांग्रेस ने इस तरह से बंगाल में चुनौती नहीं दी थी।

किशोर ने कहा कि बीजेपी बंगाल चुनाव में जातीय एंगल भी खोजने का काम कर रही है जो कि बंगाल की सियासत में पहली बार हो रहा है। प्रशांत किशोर ने कहा कि चूंकि बीजेपी ये चुनाव लड़ रही है इसलिए मीडिया में भी बंगाल चुनाव को इतनी अहमियत दी जा रही है।

प्रशांत किशोर ने कहा कि पिछले साल से ही हवा बनाने की कोशिश की जा रही है कि बीजेपी बंगाल में 200 सीटें जीत रही है लेकिन हमारा कहना है कि बीजेपी को चुनाव में 100 सीटें भी नहीं मिलेंगी।

किशोर ने कहा कि अगर बीजेपी बंगाल में 200 सीटें जीत जाती है तो वे अपना ये काम छोड़ देंगे और अपने इस बयान पर वे कायम रहेंगे।

प्रशांत किशोर ने कहा, ‘लेकिन सवाल ये है कि क्या बीजेपी ने इतना ध्रुवीकरण कर लिया है कि वह बहुमत के साथ सत्ता में आ सके?’

किशोर ने कहा कि बंगाल को जीतने के लिए बीजेपी को यहां कि 60 फीसदी हिंदू आबादी को अपनी ओर करना होगा लेकिन माहौल देखकर लगता नहीं है कि बंगाल का बहुसंख्यक समाज बीजेपी को इतना चाह रहा है।

उन्होंने कहा कि ममता बनर्जी को सत्ता में 10 साल हो गए ,निश्चित तौर पर सत्ता विरोधी लहर होगी लेकिन अभी भी बंगाल की जनता दीदी को चाहती है। इसलिए टीएमसी को कामयाबी मिलेगी।