राजीव जैन
राजस्थान में पंचायती राज संस्थाओं के चुनाव में एक बार फिर भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला होगा। इस चुनाव को लेकर दोनों दल तैयारियों में जुट गये है। भाजपा की कोशिश है कि शहरी निकायों के बाद अब गांवों की सरकार बनाने में उसे कामयाबी मिलें, इसके लिए उसने पूरी ताकत लगा दी है। दूसरी तरफ लगातार चुनावी हार झेल रही कांग्रेस भी पंचायत चुनाव में एकजुट होकर मैदान में उतरने की तैयारी कर रही है।
राज्य में अगले महीने से तीन चरणों में पंचायत चुनाव होंगे। प्रदेश की 33 जिला परिषदों पर कब्जा जमाने के लिए भाजपा और कांग्रेस ने रणनीति बनानी शुरू कर दी है। पंचायत समितियों और जिला परिषदों के चुनाव दलीय आधार पर होंगे। इसके लिए पंचायत समिति के प्रधान और जिला परिषद के जिला प्रमुख का पद पाना दोनों दलों के लिए अहम बन गया है।
ग्राम पंचायत में सरपंच और पंचों का चुनाव गैर दलीय आधार पर होगा। इस बार पंचायत चुनाव लड़ने वालों के लिए आठवीं कक्षा तक पास होना जरूरी हो गया है। इससे कई प्रभावशाली लोग चुनाव लडने से दूर रहेंगे। ग्रामीण विकास के कामों में पंचायतों की प्रमुख भूमिका होने और उसमें भी सरपंच के जरिये होने वालों कामों को लेकर ही सरकार ने न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता का प्रावधान कर दिया है। इस फैसले का विरोध और समर्थन दोनों ही हो रहे है।
पंचायत चुनाव को लेकर भाजपा ने पूरी कमर कस ली है। भाजपा ने सरकार की पहली सालगिरह के मौके पर जयपुर में प्रदेश भर के कार्यकर्ताओं का सम्मेलन कर चुनाव प्रचार की शुरुआत कर दी थी। विधानसभा और लोकसभा के बाद शहरी निकायों के चुनाव में बड़ी सफलता हासिल करने के बाद भाजपा को उम्मीद है कि पंचायत चुनाव में भी जनता उसका साथ देगी। प्रदेश में सरकार होने के नाते भाजपा की कोशिश है कि ज्यादातर पंचायत समितियों और जिला परिषदों पर उसका कब्जा हो। प्रदेश भाजपा अध्यक्ष अशोक परनामी और मुख्यमंत्री लगातार पंचायत चुनाव को लेकर मंत्रणा कर रहे हैं। पार्टी ने गृह मंत्री गुलाब चंद कटारिया की अगुआई में पंचायत चुनाव लड़ने का फैसला किया है।
प्रदेश भाजपा ने सभी जिलों में चुनाव को लेकर समितियां बना दी हैं। जिलों में मंत्रियों और पदाधिकारियों को जिम्मेदारियां सौंप दी गई हैं। प्रदेश स्तर से बनाई गई समितियां ही पंचायत समिति और जिला परिषद सदस्यों के टिकटों का फैसला करेंगी। भाजपा सूत्रों का कहना है कि पार्टी ने पंचायत चुनाव के सिलसिले में गांव स्तर तक कार्यकर्ताओं को पूरी मुस्तैदी से जुट जाने को कहा है। इस चुनाव के जरिए पार्टी यह साबित करने की कोशिश करेंगी कि उसका ग्रामीण इलाकों में भी बड़ा जनाधार है।
प्रदेश कांग्रेस ने भी पंचायत चुनाव को लेकर नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल बढ़ा दिया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सचिन पायलट लगातार पदाधिकारियों से मंत्रणा कर चुनाव की तैयारी में लगे हैं। पायलट ने भी पदाधिकारियों को जिलों की जिम्मेदारी बांट कर उन्हें पूरी ताकत से चुनाव में लगने का निर्देश दिया है। कांग्रेस के जिला प्रभारी और पर्यवेक्षक टिकटों का फैसला स्थानीय नेताओं से विचार कर करेंगे। पायलट ने बांसवाड़ा में कार्यकर्ताओं के सम्मेलन में साफ कहा कि पार्टी नेताओं की गुटबाजी खत्म होने पर ही चुनाव में जीत मिलेगी। पार्टी में गुटबाजी को खत्म करना पायलट के लिए बडी चुनौती है।
इसके बावजूद पायलट लगातार कोशिश कर रहे हैं कि निचले स्तर के नेता ही एकजुट होकर चुनावी मैदान में उतरें। पायलट ने डूंगरपुर में कहा कि पिछली चुनावी हार से सबक लेकर कांग्रेस पंचायत चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करेंगी। कांग्रेस ने रिफाइनरी की स्थापना के मुद्दे को लेकर भी भाजपा सरकार को घेरना शुरू कर दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पचपदरा में रिफाइनरी बचाओ संघर्ष समिति की अगुआई में हुई सभा में भाजपा सरकार को जमकर कोसा और उसकी नीतियों को जनविरोधी करार दिया।