दिल्ली में कॉन्स्टिट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया का चुनाव होने वाला है। इसके लिए 12 अगस्त को वोटिंग होगी लेकिन 20 साल बाद यह चुनाव हाई प्रोफाइल हो गया है। इस चुनाव में सचिव पद के लिए भाजपा के दो वरिष्ठ नेता आमने-सामने हैं। बीजेपी सांसद राजीव प्रताप रूडी और पूर्व सांसद संजीव बालियान के बीच सीधा मुकाबला है। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव में सांसद और पूर्व सांसद मतदान करते हैं। इस चुनाव की चर्चा पूरे देश में शुरू हो गई है और सोशल मीडिया पर भी यह हॉट टॉपिक बना हुआ है।
संजीव बालियान बनाम राजीव प्रताप रूडी
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब का चुनाव चौथी बार हो रहा है। इससे पहले 2009, 2014 और 2019 में कॉन्स्टिट्यूशनल क्लब के चुनाव हो चुके हैं। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव में सचिव का पद काफी महत्वपूर्ण होता है। पिछले 25 सालों से इस पद पर राजीव प्रताप रूडी कार्यरत हैं। वह निर्विरोध चुनाव जीतते रहे हैं लेकिन इस बार संजीव बालियान के मैदान में आने से उनकी राह मुश्किल हो गई है।
माना जा रहा है कि राजीव प्रताप रूडी को कांग्रेसी सांसदों का भी समर्थन मिल रहा है तो वहीं संजीव बालियान को जाट लॉबी और बीजेपी के एक गुट का भी समर्थन मिल रहा है। सोशल मीडिया पर लोग इस चुनाव को जाट और ठाकुर कार्ड के रूप में भी देख रहे हैं। कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव में करीब 1200 सांसद और पूर्व सांसद वोटर होते हैं। इस चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृह मंत्री अमित शाह, सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, नेता विपक्ष राहुल गांधी, जेपी नड्डा और लालकृष्ण आडवाणी तक वोटिंग कर सकते हैं।
‘आप सुअर से कुश्ती नहीं लड़ सकते?, महुआ मोइत्रा ने TMC सांसद कल्याण बनर्जी पर किया बड़ा हमला
चर्चा में डिनर
कॉन्स्टिट्यूशन क्लब के चुनाव के लिए लगभग रोजाना मीटिंग हो रही है, डिनर आयोजित किए जा रहे हैं और दोनों उम्मीदवार प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। अहम बात यह है कि डिनर में अलग-अलग दलों के सांसद किसी एक सांसद के घर इकट्ठा होते हैं। एक तरीके से दलीय सीमाएं टूट गई है और लोग अपनी पसंद के उम्मीदवार के लिए खड़े हो गए हैं। हालांकि इसके अलग मायने भी निकाले जा रहे हैं।
किसे किसका समर्थन?
सोशल मीडिया पर एक वर्ग यह भी कहता है कि संजीव बालियान को भाजपा के शीर्ष नेतृत्व का समर्थन हासिल है। तो वहीं पर राजीव प्रताप रूडी को भाजपा के एक धड़े के अलावा कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों के सांसदों का भी समर्थन हासिल है। सूत्रों के अनुसार भाजपा का शीर्ष नेतृत्व चाहता है कि अब नए व्यक्ति को मौका मिलना चाहिए। कांस्टीट्यूशन क्लब का चुनाव जीतना प्रतिष्ठा और पाॅवर का भी प्रतीक माना जाता है।