सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को उत्तर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता और वकील प्रशांत उमराव (Prashant Umrao) को राहत देते हुए मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा निर्धारित शर्त को संशोधित कर दिया। प्रशांत उमराव के खिलाफ पहले तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी श्रमिकों (Bihari migrant workers) की कथित दुर्दशा पर उनके ट्वीट के लिए थूथुकुडी (Thoothukudi) केंद्रीय पुलिस ने केस दर्ज किया था।
समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि उन्हें 15 दिनों के लिए हर दिन सुबह 10.30 बजे से शाम 5.30 बजे तक पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट करने को कहा गया था। संशोधित आदेश के अनुसार उमराव को अब 10 अप्रैल को ही तमिलनाडु के थाने में पेश होना होगा।
शीर्ष अदालत ने गलत जानकारी देने पर जताई नाराजगी
लाइव लॉ के मुताबिक शीर्ष अदालत ने हालांकि, तमिलनाडु में बिहारी प्रवासी कामगारों के खिलाफ कथित हमलों के संबंध में ट्विटर पर गलत जानकारी साझा करने के लिए उमराव पर नाराजगी व्यक्त की। शीर्ष अदालत ने उनसे बिहारी प्रवासी श्रमिकों के खिलाफ “हमले” के बारे में कथित रूप से “फर्जी” वीडियो पोस्ट करने के लिए बिना शर्त माफी मांगने को भी कहा। शीर्ष अदालत ने एक अंतरिम आदेश पारित किया कि उच्च न्यायालय द्वारा दी गई अग्रिम जमानत तमिलनाडु राज्य में उसी कार्रवाई के संबंध में दर्ज किसी भी अन्य प्राथमिकी पर भी लागू होगी।
लाइव लॉ की रिपोर्ट में कहा गया है कि जस्टिस बीआर गवई और पंकज मिथल की पीठ अधिवक्ता और भाजपा नेता द्वारा दायर दो याचिकाओं- ट्वीट को लेकर विभिन्न पुलिस स्टेशनों में उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रिपोर्ट (FIR) को क्लब करने के लिए एक रिट याचिका और मद्रास उच्च न्यायालय द्वारा उन्हें अग्रिम जमानत देते समय लगाई गई शर्त के खिलाफ एक विशेष अनुमति याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
उमराव ने 23 फरवरी को एक ट्वीट किया था, जिसमें दावा किया गया था कि 15 प्रवासी श्रमिकों को हिंदी बोलने के लिए पीटा गया था, जिनमें से 12 की मौत हो गई थी। जांचकर्ताओं और पुलिस विभाग ने इस दावे को फर्जी बताते हुए खारिज कर दिया था।
इसके बाद, उमराव पर थूथुकुडी सेंट्रल पुलिस ने धारा 153 (दंगा भड़काने के इरादे से जानबूझकर उकसाना), 153A (विभिन्न समूहों के बीच दुश्मनी को बढ़ावा देना), 504 (शांति भंग करने के लिए जानबूझकर अपमान करना) और 505 (सार्वजनिक शरारत करने वाले बयान) के तहत उनके खिलाफ कथित रूप से गलत जानकारी फैलाने के लिए मामला दर्ज किया था।
तमिलनाडु पुलिस द्वारा उनके खिलाफ दर्ज की गई प्राथमिकी से उत्पन्न विवाद में ट्रांजिट अग्रिम जमानत के लिए उन्होंने पिछले महीने सोमवार को दिल्ली उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। याचिका में, उमराव ने कहा कि उनके खिलाफ थुथुकुडी सेंट्रल पुलिस स्टेशन में एक प्राथमिकी “गलत तरीके से दर्ज” की गई थी, जो उन्होंने “राष्ट्रीय समाचार एजेंसियों द्वारा कवर की गई खबरों के आधार पर” अपने ट्विटर अकाउंट पर पोस्ट की थी।
(एएनआई, लाइव लॉ से इनपुट्स के साथ)