आरएसएस हमेशा से इतिहास की किताबों में बदलाव करने की मांग उठाती रहती है। पिछले दिनों भी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने सावरकर को लेकर कहा था कि उनके बारे में भ्रम फ़ैलाने की कोशिश की गई। इसलिए इतिहास की किताबों में बदलाव जरूरी है। इतिहास की किताबों को बदलने की मांग से जुड़े एक टीवी डिबेट के दौरान जब भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने पैनलिस्ट व एसडीपीआई नेता तस्लीम रहमानी से रसखान को लेकर सवाल पूछा तो वे गोलमोल जवाब देने लगे।

न्यूज 18 इंडिया पर आयोजित टीवी डिबेट के दौरान कृष्ण भक्त रसखान को लेकर एंकर अमीश देवगन के द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में भाजपा प्रवक्ता सुधांशु त्रिवेदी ने कहा कि रसखान बहुत बड़े कृष्ण भक्त कवि थे। उस सीमा तक उनकी भक्ति थी कि उन्होंने लिखा कि मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गांव के ग्वारन। जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मंझारन। पाहन हौं तो वही गिरि को, जो धर्यो कर छत्र पुरंदर धारन। जो खग हौं तो बसेरो करौं मिलि कालिंदीकूल कदम्ब की डारन।

आगे उन्होंने इस पंक्ति का अर्थ बताते हुए एसडीपीआई नेता तस्लीम रहमानी से सवाल पूछा कि आज अगर कोई मुसलमान ये बोल दे कि अगला जन्म होना चाहिए तो फतवा जारी होगा या नहीं। ये बताइए कि सीबीएसई की किताब में किसने रसखान के बारे में कहीं कुछ लिखा है। इसी दौरान सुधांशु त्रिवेदी ने उनसे यह भी पूछ लिया कि क्या आपको पता है कि रसखान का जन्म कहां हुआ था।

इसपर एसडीपीआई नेता तस्लीम रहमानी गोलमोल जवाब देने लगे। बाद में एंकर के पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि रसखान का जन्म अवध में हुआ। इसपर सुधांशु त्रिवेदी ने दावा किया कि रसखान का जन्म तो काबुल में हुआ था। जिसपर एंकर अमीश देवगन ने कहा कि ये तो अवध बता रहे थे। इसी दौरान कांग्रेस प्रवक्ता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तंज कसते हुए कह दिया कि काबुल तब अवध में ही था। इतना सुनते ही वहां मौजूद लोग ठहाके लगाकर हंस पड़े। 

बता दें कि प्रसिद्ध कवि रसखान जिनका मूल नाम सैयद इब्राहिम खान था और वे पठान थे। रसखान पुष्टिमार्गी वल्लभ संप्रदाय के प्रवर्तक वल्लभाचार्य के बेटे विट्ठलनाथ के शिष्य थे। रसखान अपनी कृष्ण भक्ति के लिए प्रसिद्ध थे और उन्होंने भागवत का फ़ारसी में भी अनुवाद किया था। रसखान ने अपना अधिकांश जीवन मथुरा और वृंदावन में बिताया था।