दुनिया की सबसे बड़ी पत्रिकाओं में से एक टाइम मैगजीन ने हाल ही में दुनिया के 100 सबसे प्रभावशाली लोगों की लिस्ट जारी की थी। इसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ शाहीन बाग में सीएए विरोधी प्रदर्शनों का चेहरा बनीं दादी बिल्किस भी शामिल थीं। टाइम में उनकी तारीफ में एक लेख भी छपा था। बिल्किस को सरकार के खिलाफ विरोध का प्रतीक कहा जाता रहा है। हालांकि, भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने बिल्किस को दंगों का प्रतीक बताया है। संबित यहीं नहीं रुके, उन्होंने टाइम मैगजीन के साथ कुछ अन्य अमेरिकी अखबारों पर भी निशाना साधा।

क्या कहा संबित पात्रा ने?: भाजपा प्रवक्ता ने वर्ल्ड मीडिया के कुछ बड़े संस्थानों को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “टाइम मैगजीन, वॉशिंगटन पोस्ट और न्यूयॉर्क टाइम्स का सवाल है, तो ये सब लेफ्ट की तरफ झुकाव रखते हैं, ये पूरी दुनिया जानती है। वॉशिंगटन पोस्ट ने तो अबु बकर अल-बगदादी तक की तारीफ करते हैं। दादी की बात हो रही है, तो मैं उन्हें आतंकवादी नहीं कहूंगा, लेकिन दादी तो जानती भी नहीं होंगी कि सीएए का फुलफॉर्म क्या है। वे जानती नहीं होंगी कि सीएए का अर्थ क्या है।”

संबित ने आगे कहा, “जिस प्रकार 500 रुपए और बिरयानी के लिए लोगों को जिस तरह भड़काया गया और दिल्ली में उन्मादी दंगे फैलाए गए, वो पूरे विश्व ने देखा है। इसलिए अगर दादी को ग्लोरिफाई किया जा रहा है, तो इसमें दादी का दोष नहीं है। दादी के लिए जिन लोगों ने लेख लिखा है। राणा अयूब जिन्होंने लिखा है कि दादी सिंबल ऑफ रजिस्टेंट (विरोध का प्रतीक) है, नहीं वे दंगों की प्रतीक हैं। शाहीन बाग अगर किसी का प्रतीक है तो वो हैं दंगे।”

पैनलिस्ट पर भी साधा निशाना: संबित यहीं नहीं रुके। उन्होंने डिबेट में शामिल एक्टिविस्ट इफरा जान पर भी निशाना साधा। संबित ने कहा कि इफरा के भाई शरजील इमाम ने कहा था कि हमें असम को हिंदुस्तान से अलग कर देना है। हमें रोडों को काट देना है। 5 लाख मुस्लिमों को उतार देना है। ताकि जो मुस्लिम हैं, वे भारतीय सेना को पूर्वोत्तर तक पहुंचने से रोकें। अगर हम भारत को टुकड़ों में काट देंगे, तो हम सफल होंगे। चाहे वो टाइम मैगजीन हो, वॉशिंगटन पोस्ट हो या न्यूयॉर्क टाइम्स इनका एक ही मकसद है- भारत को तोड़ना।