भाजपा और शिवसेना 15 बरस बाद एक बार फिर महाराष्ट्र की सत्ता में आ गई हैं। शुक्रवार दोपहर 35 दिन पुरानी देवेंद्र फडणवीस की अगुआई वाली सरकार में शिवसेना के दस मंत्री शामिल हुए। शिवसेना का भाजपा सरकार में शामिल होना अपने आप में अनोखा है क्योंकि ऐसा पहली बार है जब विपक्ष में बैठी कोई पार्टी सत्ताधारी पाले में आ गई है। हालांकि शिवसेना विपक्ष में थोड़े समय के लिए ही रही। राज्यपाल सी विद्यासागर राव ने 20 मंत्रियों को पद की शपथ दिलाई जिसमें भाजपा और शिवसेना दोनों के दस-दस मंत्री शामिल थे।

शपथ लेने वाले कैबिनेट मंत्रियों में गिरीश बापत (भाजपा), गिरीश महाजन (भाजपा), दिवाकर राउते, सुभाष देसाई, रामदास कदम, एकनाथ शिंदे (शिवसेना), चंद्रशेखर भवानकुले, बबनराव लोनीकर (भाजपा), डा दीपक सावंत (शिवसेना) और राजकुमार बडोले (भाजपा) शामिल हैं।

शपथ ग्रहण करने वाले राज्य मंत्रियों में राम शिंदे, विजय देशमुख (भाजपा), संजय राठौड़, दादा भूसे, विजय शिवतारे, दीपक केसरकर (शिवसेना), राजे अमरीश अतराम (भाजपा), रवींद्र वायकर (शिवसेना), डा रंजीत पाटिल, और प्रवीण पोटे (भाजपा) शामिल हैं। कैबिनेट के अगले विस्तार में शिवसेना के दो और मंत्रियों के शपथ लेने की संभावना है जो संभवत: राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र के बाद होगा।

फडणवीस ने जब 31 अक्तूबर को शपथ ली थी तब नौ अन्य मंत्रियों ने शपथ ली थी। ये सभी भाजपा के थे। तब शिवसेना के किसी भी मंत्री ने शपथ नहीं ली थी क्योंकि दोनों पार्टियों के बीच बातचीत अनिर्णायक रही थी। शिवसेना और भाजपा ने विधानसभा चुनाव अलग-अलग लड़ा था।

राकांपा ने ‘बिना मांगे ही’ भाजपा सरकार को बाहर से समर्थन की पेशकश की थी। भाजपा ने इस महीने के शुरू में विश्वास मत हासिल कर लिया था।
शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे और उनके परिवार के सदस्य शिवसेना के मंत्रियों को शपथ लेते देखने के लिए मौजूद थे। शपथ लेने वाले शिवसेना के मंत्रियों ने केसरिया रंग की पगड़ी बांध रखी थी।

आरपीआइ नेता रामदास अठावले और शिवसंग्राम पार्टी के नेता विनायक मेते भी मौजूद थे जिनकी पार्टियां भाजपा की चुनाव पूर्व सहयोगी पार्टियां हैं। यद्यपि इन दोनों पार्टियों से किसी को भी शपथ नहीं दिलाई गई।

बीते 31 अक्तूबर को हुए शपथ ग्रहण में कांग्रेस और राकांपा नेता मौजूद थे लेकिन इस बार के शपथ ग्रहण में वे मौजूद नहीं थे।
विपक्ष के नेता पद के लिए दावा: शिवसेना के देवेंद्र फडणवीस सरकार में शामिल होने और नेता प्रतिपक्ष के पद से एकनाथ खड़से के इस्तीफा देने के बाद कांग्रेस ने विपक्ष के नेता के लिए अपनी दावेदारी पेश की है। राज्य विधायिका के प्रमुख सचिव अनंत कलसे ने कहा, ‘कांग्रेस ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र सौंप कर शुक्रवार को औपचारिक रूप से इस पद के लिए दावा पेश कर दिया।’

फडणवीस सरकार में मंत्री बने एकनाथ खड़से ने शुक्रवार को पिक्ष के नेता पद से इस्तीफा सौंप दिया। वे दस नवंबर से इस पद पर थे। राकांपा ने भी कहा है कि वह नेता प्रतिपक्ष के लिए अपना दावा करेगी। उसके 41 विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास 42 विधायक हैं।
शिवसेना के कदम को अदालत में चुनौती

महाराष्ट्र की भाजपा सरकार में शिवसेना के औपचारिक रूप से शामिल होने के साथ ही, शुक्रवार को बंबई हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर की गई जिसमें शिवसेना के कदम को ‘अवैध’ बताते हुए उसे चुनौती दी गई। सामाजिक कार्यकर्ता केतन तिरोडकर की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया कि शिवसेना का कदम सदन के नियमों के खिलाफ है क्योंकि विपक्षी दल के सदस्य सत्ता पक्ष द्वारा विश्वास मत हासिल करने के छह महीने के भीतर सरकार में शामिल नहीं हो सकता। मुख्य न्यायाधीश मोहित शाह की अध्यक्षता वाले पीठ के सामने याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका का उल्लेख किया। पीठ ने इस मामले में आठ दिसंबर को सुनवाई करने का फैसला किया।