भारतीय जनता पार्टी ने 2014 के बाद से लगातार केंद्र में रहने के साथ ही देश कई राज्यों में भी अपनी सत्ता का विस्तार किया है। इसमें पूर्वोत्तर जैसे नए क्षेत्रों में भी भाजपा को सफलता मिली है लेकिन केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक के कई सालों से कार्य करने के बाद भी उसे मनचाही सफलता हासिल नहीं हो सकी है।

बता दें केरल का तिलिस्म तोड़ने को लेकर भाजपा ने अपनी रणनीति बदलनी शुरू कर दी है। इसमें भाजपा केरल में ईसाई मतदाताओं को अपने पाले में लाने की पूरी कोशिश में है। गौरतलब है कि केरल की पूरी आबादी में ईसाई 20 फीसदी हैं। ऐसे में भाजपा का निशाना इन्हीं मतदाताओं पर है। वैसे यह अपने आप में काफी अलग भी होगा। क्योंकि देश में अन्य राज्यों में हिंदुत्व के नाम पर परचम लहराने वाली भाजपा केरल में ईसाई वोटों के साथ सत्ता पाने का प्लान बना रही है।

भाजपा को विकास पर विश्वास: गौरतलब है कि केरल में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के दशकों से सक्रिय होने के बाद भी भाजपा को चुनावी सफलता नहीं मिली है। हालांकि भाजपा आलाकमान को लगता है कि आने वाले समय में इस स्थिति में धीरे-धीरे बदलाव आएगा। पार्टी के नेताओं का मानना है कि राज्य के लोगों के बीच गरीबों और दलितों में भाजपा के विकास का मुद्दा गूंज रहा है।

वाम सरकार के विकल्प के तौर पर भाजपा?: केरल में कांग्रेस को वाम सरकार के प्रभावी विकल्प के रूप में खारिज किए जाने के साथ भाजपा के वरिष्ठ पार्टी नेताओं का मानना ​​है कि आरएसएस और भाजपा के जमीनी स्तर पर किये जा रहे संघर्ष का फल जल्द ही मिल सकता है। दरअसल केरल की राजनीति का केंद्र धर्म बना हुआ है। ऐसे में यह जल्द बदलने वाला नहीं है।

इस स्थिति में भाजपा ईसाई समुदाय को ध्यान में रखते हुए अपनी रणनीति बना रही है। पार्टी के नेताओं का मानना है कि अक्टूबर 2021 में रोम में जी20 शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पोप से मुलाकात कर ईसाई समुदाय की भावनाओं को बदल दिया है।

लव जिहाद का भी मुद्दा: हाल ही में केरल में एक ईसाई महिला की मुस्लिम पुरुष से शादी का मामला जोरों पर है। इस घटना को लेकर राज्य की राजनीति तेज देखी जा रही है। इस घटना को लेकर एक माकपा नेता ने भी निंदा की और इसे “लव जिहाद” करार दिया।

केंद्रीय मंत्री मुरलीधरन ने कहा कि मुझे लगता है कि सीपीआई (एम) मुसलमानों और ईसाइयों का समर्थन चाहती है। लेकिन मौजूदा हालात में यह नामुमकिन सा लगता है। सीपीआई (एम) को लगता है कि ईसाइयों को अपने साथ लाने की तुलना में मुस्लिम समुदाय को लाना आसान है। और यह कट्टरपंथियों और इस्लामी आतंकवादियों का समर्थन करके मुमकिन है।

केंद्रीय मंत्री का मानना ​​है कि परंपरागत रूप से कांग्रेस को वोट देने वाले ईसाई धीरे-धीरे भाजपा की तरफ आकर्षित हो रहे हैं। लव जिहाद का मुद्दा न केवल हिंदू समुदाय में बल्कि ईसाई समुदाय में भी गंभीर चिंता का विषय है। ईसाई समुदाय अपने आप को असहाय महसूस करता है। इस समाज के लोग अपनी राय और चिंताओं को व्यक्त करने में असमर्थ हैं। मंत्री ने ऐसी स्थिति के लिए केरल की पिनाराई विजयन सरकार को दोषी ठहराया।

बता दें कि ईसाईयों को लेकर अभी कुछ दिन पहले भाजपा के सीनियर नेता और केंद्रीय मंत्री वी मुरलीधरन ने कहा था कि इस्लामिक आतंकवाद ने दुनिया भर के ईसाई चर्चों को बहुत नुकसान पहुंचाया है। उन्होंने इराक, सीरिया और श्रीलंका में ईसाइयों पर हुए अत्याचार का उदाहरण दिया। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “ईराक, सीरिया और यहां तक ​​कि भारत के पड़ोसी देश श्रीलंका में भी ईसाईयों का काफी खून बहा है।”

हालांकि भाजपा जिस तरह से ईसाई समुदाय को अपने साथ लाने की जुगत में हैं, उसमें वो कितना कामयाब हो पाएगी ये तो चुनाव नतीजे ही बताएंगे लेकिन जो भाजपा देश के अन्य राज्यों में हिंदुत्व और भगवा की बात करती है, वह केरल में क्रिश्चियन वोटर्स के साथ बड़ा खेल करने के मूड में नजर आ रही है।