संसद सत्र से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी पार्टी के सांसदों को गुरुमंत्र दिया। उन्होंने सांसदों को यह संदेश दिया कि रास्ता साफ है लेकिन आपको सावधानी से आगे बढ़ने की जरूरत है। प्रधानमंत्री मोदी ने उनसे यह भी कहा कि वे I.N.D.I.A. गुट से निराश या विचलित न हों और तीखा हमला बोलते हुए इसके नाम की तुलना उन आतंकी संगठनों से की जिनके नाम में ‘भारत’ शब्द शामिल है।
पीएम मोदी का संबोधन काफी महत्वपूर्ण
भाजपा सांसदों के लिए पीएम मोदी का संबोधन का काफी महत्वपूर्ण था क्योंकि वे 2014 की तुलना में 2024 में कठिन हालात की उम्मीद कर रहे हैं। हालांकि पीएम मोदी की लोकप्रियता और विश्वसनीयता कमोबेश बरकरार है और विपक्षी एकता को अभी भी कई बाधाओं को पार करना बाकी है। लेकिन सत्ता विरोधी लहर को लेकर भाजपा में कुछ घबराहट है।
बीजेपी ने कई मोर्चों पर प्रयास शुरू कर दिए हैं। हालांकि पार्टी द्वारा समान नागरिक संहिता को आगे बढ़ाने की संभावना नहीं है, जो अनुच्छेद 370 को खत्म करने और अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद भाजपा का आखिरी बड़ा वैचारिक एजेंडा है।
बीजेपी नए सहयोगियों को जोड़ रही
भाजपा नए और पुराने सहयोगियों को वापस लाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। जिस दिन विपक्ष की एकता बैठक हुई, उसी दिन एनडीए के मंच पर 38 पार्टियां इकट्ठी हुईं। भाजपा अपने एनडीए ग्रुप में अन्य दलों से काफी ऊपर है और इसलिए उसके पक्ष में सीट-बंटवारा बहुत आसान मामला होने की उम्मीद है। NDA में शामिल कई दलों का संसद में कोई प्रतिनिधित्व नहीं है। एक वरिष्ठ नेता ने इंडियन एक्सप्रेस से कहा, “जब राजनीतिक परिदृश्य इस तरह से हो जाता है, तो यह दिखाने के लिए काफी महत्वपूर्ण है कि हमारे भी दोस्त हैं।”
पीएम मोदी 31 जुलाई से “स्नेह भोज” पर ग्रुप्स में एनडीए सांसदों से मिलेंगे। राज्य के नेताओं को पहले ही कहा जा चुका है कि वे अपने क्षेत्रों में गठबंधन सहयोगियों के साथ मधुर संबंध बनाएं और वरिष्ठ नेताओं के लिए भी यही संदेश होगा।
जहां अमित शाह और राजनाथ सिंह सांसदों के एक वर्ग से मिलेंगे, तो वहीं जेपी नड्डा और नितिन गडकरी अगले सप्ताह से अलग वर्ग के सांसदों से मिलेंगे। अमित शाह फिर से भाजपा के चुनाव प्रचार की कमान संभालेंगे।
कर्नाटक में भाजपा ने उन नेताओं तक भी पहुंचना शुरू कर दिया है जो पार्टी में कई लोगों को शामिल किए जाने के कारण खुद को दरकिनार महसूस कर रहे हैं। एक सूत्र ने कहा, “यह समय की आवश्यकता है। हम उनसे बातचीत करेंगे। हम अपने कैडर और नेताओं तक पहुंचेंगे और उन्हें आश्वासन देंगे कि उनके हितों का ख्याल रखा जाएगा।”