इलाहाबाद में भाजपा की नेशनल एग्‍जीक्‍यूटिव मीटिंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को सात सूत्र दिए। उन्‍होंने नेताओं को सेवाभाव, संतुलन, संयम, समन्‍वय, सकारात्‍मक, संवेदना और संवाद इन सात सूत्रों का पालन करने को कहा। ये सब आपके व्‍यवहार और राजनीति में दिखना चाहिए। 200 पाटी नेताओं को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने भावुक भाषण में कहा कि केवल नारों से कुछ नहीं होगा। उन्‍होंने कहा, ”देश को मजबूत करने की जरूरत है। लोग केवल नारों से खुश नहीं है, उनकी चिंता देश को मजबूत बनाने को लेकर है।”

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शिवाजी का उदाहरण देते हुए मोदी ने कहा, ”हमारे लिए सत्‍ता खुशी नहीं जिम्‍मेदारी है। हमारे शरीर का हर अंग इस जिम्‍मेदारी को पूरा करने के लिए समर्पित होना चाहिए। मैंने अपने हर एक हिस्‍से और मेरे जीवन के हर एक पल को इस देश को समर्पित करने का संकल्‍प लिया है।” उन्‍होंने भारतीय जनसंघ के नेता दीनदयाल उपाध्‍याय का अपने चाचा को लिखे गए खत को पढ़ा। इस खत में दीनदयाल उपाध्‍याय ने परिवार से कहा था कि उन्‍होंने अपना समय देश सेवा में दे दिया है। सूत्रों का कहना है कि प्रधानमंत्री ने साथी नेताओं से कहा कि वे राजनीतिक विरोधियों की आलोचना से परेशान न हों।

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मोदी ने कहा, ”हमें लोगों को अपनी ताकत दिखाने के लिए सत्‍ता का उपयोग नहीं करना चाहिए। इसे समाज के फायदे और विकास के लिए इस्‍तेमाल करो।” भाजपा के एक महासचिव ने बताया, ”वे भावुक थे। उन्‍होंने हमें वह संदेश दिया जिसे हमें याद रखना है। हमें वह संदेश मिल गया।”

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