केंद्र की तरफ से बनाए गए तीन नये कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर  दिल्ली की विभिन्न सीमाओं पर चल रहा किसानों का आंदोलन दूसरे महीने में प्रवेश कर गया है। किसान कड़ाके की ठंड के बीच अपनी मांग पर अड़े हैं।

प्रदर्शनकारी किसान संगठनों और केंद्र सरकार के बीच अगले दौर की वार्ता की तारीख 29 दिसंबर प्रस्तावित है।  केंद्र और कृषि संगठनों के बीच पांच दौर की वार्ता के बाद भी गतिरोध नहीं टूटा है। इसके बीच भाजपा के बिहार से राज्यसभा के लिए निर्वाचित सांसद सुशील मोदी की तरफ से दिए बयान को लेकर कई सवाल उठ रहे हैं। भाजपा सांसद ने अरुण जेटली को श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि यदि आज जेटली जिंदा होते तो किसानों का आंदोलन इतना लंबा नहीं चलता।

सुशील मोदी ने कहा कि मुझे पूरा यकीन है कि यदि आज अरुण जेटली जिंदा होते तो जिस तरह की समस्या का किसान आज सामना कर रहे हैं, जिस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन हो रहा है, वह (अरुण जेटली) निश्चित रूप से कोई हल निकाल लेते। ऐसे में एक सवाल यह भी उठता है कि क्या सुशील मोदी अपने बयान से भाजपा नेतृत्व को कठघरे में खड़ा कर रहे हैं।

मालूम हो कि अधिकतर पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के किसान 26 नवंबर से ही डेरा डाले हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट की तरफ से इस मामले में सरकार से कमेटी बनाकर मामले का हल निकालने को कहा है। केंद्र सरकार अभी तक इन कानूनों के फायदों को लेकर प्रदर्शनकारी किसानों को आश्वस्त करने में असफल रही है।

इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भाजपा नेता अरुण जेटली को उनकी जयंती पर सोमवार को श्रद्धांजलि दी। पीएम ने कहा कि उनका ओजस्वी व्यक्तित्व, बुद्धिमता, कानूनी समझ और हाजिरजवाबी को वे सभी लोग याद करते हैं, जो उनके काफी निकट थे। जेटली का जन्म 1952 में हुआ था।

उनका पिछले साल अगस्त में निधन हो गया था। भाजपा अध्यक्ष जे पी नड्डा ने कहा कि जेटली को एक मुखर वक्ता एवं सक्षम रणनीतकार के तौर पर याद किया जाएगा। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि पार्टी को मजबूत करने में जेटली की भूमिका को हमेशा याद किया जाएगा।