भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने शुक्रवार को कहा कि अयोध्या मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो भी फैसला आए लेकिन केंद्र सरकार के पास संविधान के अनुच्छेद 300 ए के तहत राष्ट्रीयकरण का ब्रह्मास्त्र है। स्वामी ने ट्वीट कर कहा ‘सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर के मुद्दे पर जो भी फैसला आए लेकिन सरकार के पास अनुच्छेद 300 ए के तहत राष्ट्रीयकरण का ब्रह्मास्त्र है। जिसके तहत केस जीतने वाले पक्ष को मुआवजा दिया जाएगा लेकिन जमीन नहीं। अयोध्या की कुल 67.703 एकड़ जमीन में सिर्फ 0.313 एकड़ पर ही विवाद है।’
यह पहली बार नहीं है कि बीजेपी सांसद ने विवादित जमीन पर मुआवजा देने की बात कही हो। वह कई मौकों पर यह बात दोहरा चुके हैं। वह सरकार से कह चुके हैं कि राम मंदिर निर्माण कार्य शुरु कर देना चाहिए। उन्होंने बीते दिनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर कहा है कि केंद्र सरकार के पास यह अधिकार है कि वह किसी भी जमीन को सार्वजनिक हित के तहत अपने अधिकार क्षेत्र में ले सकती है। केंद्र को सिर्फ सुप्रीम कोर्ट में यह आश्वासन देना होगा कि वह केस से जुड़े सभी पक्षकारों को मुआवजा देगी। कोई भी राम मंदिर निर्माण पर रोक नहीं लगा सकता।’
मालूम हो कि सुप्रीम कोर्ट में रोजाना (सोमवार से शुक्रवार) अयोध्या मामले पर सुनवाई चल रही है। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मध्यस्थता पैनल का गठन किया गया था लेकिन मध्यस्थता पैनल किसी अंतिम निष्कर्ष तक नहीं पहुंच सका। जिसके बाद कोर्ट में 6 अगस्त से लगातार सुनवाई जारी है।
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बता दें कि बाबरी मस्जिद को 6 दिसंबर 1992 को गिरा दिया गया था। इसे 16वीं शताब्दी में मीर बाकी ने बनवाया था। जिस जमीन पर इसे बनवाया गया, वो विवादित है। हिंदू संगठनों का दावा है कि इस जमीन पर भगवान राम का जन्म हुआ था। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2010 में दिए फैसले में कहा था कि विवादित 2.77 एकड़ जमीन को सुन्नी वक्फ बोर्ड, निर्मोही अखाड़ा और राम लला के बीच बराबर-बराबर बांट दी जाए। इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।
