बीजेपी सांसद सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि उन्हें सरकारी सूत्रों से जानकारी मिली है कि चीन ने ये साफ कर दिया है कि वह देपसांग को खाली नहीं करेगा। चीन का कहना है कि पिछले साल अप्रैल में जो LAC पर स्थिति थी उससे अधिक वह खाली करने को तैयार नहीं है। देपसांग पर चीन ने 1998 से 2013 तक धीरे-धीरे कब्जा किया है। सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया कि चीन से देपसांग को खाली कराने के लिए हिम्मत की जरूरत है। इस पर एक यूजर ने स्वामी से पूछा कि आपकी क्या राय है? जिसका जवाब देते हुए सुब्रमण्यम स्वामी ने ट्वीट किया, ‘जंग’।
बता दें कि चीन ने एक पत्रकार समेत तीन लोगों को हिरासत में लिया है। चीन का आरोप है कि इन लोगों ने पूर्वी लद्दाख के गलवान में भारतीय सैनिकों द्वारा मारे गिराए गए चीनी सैनिकों का अपमान किया है। आरोप है कि पत्रकार ने सोशल मीडिया पर चीन के सैनिकों का अपमान किया। ये जानकारी चीन के सरकारी मीडिया ग्लोबल टाइम्स द्वारा दी गई है। मामले में आरोपी पत्रकार का सोशल मीडिया अकाउंट भी सस्पेंड कर दिया गया है।
मालूम हो कि 19 फरवरी को चीनी सेना ने पहली बार ये स्वीकार किया कि उसके चार सैनिक भारतीय सैनिकों द्वारा मार गिराए गए थे। एलएसी पर हिंसक झड़प पिछले साल जून में पेश आई थी। पिछले 45 सालों के इतिहास में भारत -चीन सीमा पर इससे अधिक हिंसा अब तक पेश नहीं आई थी।
Government sources tell me the Chinese have made it clear: No question of vacating Depsang area. Chinese say India has a April 2020 cut off for disengagement. But Depsang was acquired by Chinese bit by bit from July 1998 till 2013. We thus have to evict them which needs nerves.
— Subramanian Swamy (@Swamy39) February 22, 2021
चीन के सरकारी मीडिया ने कहा, ” चारों जवान सीमा की रक्षा करते हुए शहीद हुए हैं। इनमें एक सैन्य अधिकारी भी शामिल है।” पत्रकार ने सवाल उठाया था कि चीन द्वारा हताहत होने वाले सैनिकों की संख्या जितनी बताई जा रही है उससे अधिक है। पत्रकार ने पूछा कि क्यों चीन की सरकार ने हताहत होने वाले सैनिकों की जानकारी देने में इतना समय लगा दिया?
मालूम हो कि भारत ने भी दावा किया है कि गलवान में बड़ी संख्या में चीनी सैनिक हताहत हुए थे। भारत ने इससे पहले बताया था कि गलवान में हुई झड़प में 20 भारतीय सैनिकों ने शहादत दी थी। चीन ने लंबे समय तक अपनी तरफ से मरने वाले सैनिकों की जानकारी नहीं दी थी।