Bengal News: पश्चिम बंगाल के जलपाईगुड़ी जिले में बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों के दौरे के दौरान हुए बीजेपी सांसद खगेन मुर्मू पर हमला हुआ था। हमले के बाद उनका सिलिगुड़ी के एक निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। अस्पताल में 20 दिन तक इलाज के बाद शनिवार शाम उन्हें अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
निजी अस्पताल के सूत्रों के अनुसार खगेन मुर्मू को बोलने से परहेज करने और हल्का आहार लेने की सलाह दी गई है। मुर्मू अपने परिवार के साथ सिलीगुड़ी से मालदा स्थित अपने आवास तक सड़क मार्ग से आए और डॉक्टर्स ने उन्हें आराम करने की सलाह दी गई है।
दिल्ली के एम्स अस्पताल में होगा इलाज
बीजेपी सांसद के पारिवारिक सूत्रों के अनुसार आगे के इलाज के लिए उन्हें कुछ ही दिनों में दिल्ली स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया जाएगा। खगेन मुर्मू की पत्नी मंजू किस्कू ने मीडिया को बताया कि डॉक्टरों ने उन्हें अगले दो महीने तक बोलने से मना किया है। उनका जबड़ा बुरी तरह प्रभावित है, उनके चार दांत अभी भी ढीले हैं। इसके अलावा उनकी दृष्टि अभी भी धुंधली है, और वे दर्द से पीड़ित हैं।
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सांसद और विधायक पर हुआ था हमला
मालदा उत्तर से लोकसभा सांसद मुर्मू और सिलीगुड़ी के विधायक तथा विधानसभा में बीजेपी के मुख्य सचेतक शंकर घोष का छह अक्टूबर को जलपाईगुड़ी के नागराकाटा में भीड़ ने कथित तौर पर पीछा किया और उन पर हमला किया गया था। मुर्मू के वाहन पर हुए हमले में उन्हें गंभीर चोटें आईं। कथित तौर पर 500 लोगों की भीड़ ने उन पर पथराव किया और लाठियों से हमला किया। विधायक घोष को पिछले हफ्ते ही अस्पताल से छुट्टी दे दी गई थी।
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वाई प्लस श्रेणी की सुरक्षा
हमले के बाद पार्टी सूत्रों ने संकेत दिया कि मुर्मू की सुरक्षा को ‘वाई-प्लस’ दर्जा दिया गया है। ‘वाई-प्लस’ सुरक्षा में लगभग 11 कर्मी शामिल होते हैं, जिनमें दो निजी सुरक्षा अधिकारी (पीएसओ) और आठ से दस कमांडो और पुलिस अधिकारियों की एक टीम शामिल होती है। जलपाईगुड़ी पुलिस ने हमले में कथित भूमिका के लिए पांच लोगों को गिरफ्तार किया है। बीजेपी ने सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सदस्यों पर हमले की साजिश रचने का आरोप लगाया है। हालांकि टीएमसी ने किसी भी तरह की संलिप्तता से इनकार किया है।
पारिवारिक सूत्रों के अनुसार वे इस मामले की केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने की मांग करेंगे। भीड़ के हमले के बाद बीजेपी नेता बिजोन गोस्वामी ने उच्च न्यायालय में एक याचिका दायर कर केंद्रीय एजेंसियों से जांच कराने की मांग की थी। बीजेपी नेता ने आरोप लगाया कि पश्चिम बंगाल पुलिस ने हत्या के प्रयास के आरोप में प्राथमिकी दर्ज नहीं की है और अदालत से मामले की जाँच सीबीआई या राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) को सौंपने का अनुरोध किया।
